बरेली

एआई से परखेंगे आवारा पशुओं का व्यवहार, गंभीर बीमारियों से मुक्त होंगे इंसान, जानें क्या है प्रोजेक्ट ।

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) और इंटरनेट ऑफ थिंग आईओटी के माध्यम से आवारा पशुओं के व्यवहार पर नजर रखी जाएगी उनका परीक्षण किया जाएगा। इससे पशुओं के जरिए मनुष्यों और अन्य स्वस्थ जानवरों में होने वाली बीमारी से उन्हें बचाया जा सकेगा।

बरेलीAug 10, 2024 / 11:25 am

Avanish Pandey

बरेली। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) और इंटरनेट ऑफ थिंग आईओटी के माध्यम से आवारा पशुओं के व्यवहार पर नजर रखी जाएगी उनका परीक्षण किया जाएगा। इससे पशुओं के जरिए मनुष्यों और अन्य स्वस्थ जानवरों में होने वाली बीमारी से उन्हें बचाया जा सकेगा। रुहेलखंड विश्वविद्यालय के सीएसआईटी (कंप्यूटर साइंस एंड इंफॉरमेशन टेक्नोलॉजी) विभाग की असि. प्रोफेसर डॉ. प्रीति यादव के रिसर्च प्रोजेक्ट को विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद (सीएसटी) ने 12.18 लाख रुपये के प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है।
प्रोजेक्ट के जरिए आसानी से सुनिश्चित होगी जानवरों की देखभाल

प्रीति यादव के प्रोजेक्ट का शीर्षक डिजाइन ऑफ एन इनोवेशन एआई एंड आईओटी बेस्ड फ्रेमवर्क फॉर लिवस्टॉक/स्ट्रे एनिमल सर्विलांस एंड हेल्थ मॉनिटरिंग ऑफ इंडिया है। यह प्रोजेक्ट किसानों के धार्मिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक गतिविधियों के उपयोग में आने वाले जानवरों के सामने आने वाली चुनौतियों को संबोधित करने के उद्देश्य से डिजाइन की गई है। इस प्रोजेक्ट से जानवरों की देखभाल सुनिश्चित की जाएगी। इसके साथ ही कृषि के साथ प्रौद्योगिकी को जोड़ने का एक नया प्रयास होगा। इसके तहत कुछ चिह्नित स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन के की मदद से जानवरों की निगरानी कर उनका डाटा कलेक्ट किया जाएगा।
ट्रैकर्स और सेंसर से मिलेगी पशुओं के स्वास्थ्य की जानकारी

ट्रैकर्स और सेंसर से पशुओं की गतिशीलता और स्वास्थ्य की जानकारी प्रदान करेंगे। डॉ. प्रीति यादव के प्रोजेक्ट के प्रमुख उद्देश्य हैं कि जानवरों के स्वास्थ्य मापदंडों के लिए बायोमेट्रिक सेंसर, स्थान ट्रैकिंग के लिए जीपीएस और आरएफआईडी तकनीक और पर्यावरण सेंसर शामिल हैं। जानवरों की संरक्षण स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए डेटा का उपयोग किया जाएगा।
आईवीआरआई के सहयोग से होगा जानवरों का उपचार

डॉ. प्रीति ने बताया कि आवारा पशु कुत्ते, गाय, सांड़, घोड़े आदि सड़कों पर घूमते रहते हैं। कई ऐसे होते हैं जो बीमार होते हैं। कई के शरीर में कीड़े भी पड़ जाते हैं। इनके संपर्क में आने से दूसरे जानवरों में बीमारी फैल जाती है और फिर इंसानों में भी पहुंच जाती है। इस पर प्रोजेक्ट के माध्यम से रोक लगाने का प्रयास किया जाएगा। छात्रों की मदद से स्थान चिह्नित कर जानवरों की निगरानी की जाएगी।आईवीआरआई के सहयोग से जानवरों का इलाज किया जाएगा। इसके बाद बीमार जानवरों और ठीक हो चुके जानवरों के डेटा का विश्लेषण किया जाएगा।

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