डिप्टी कमिश्नर अनिरुद्ध सिंह ने बताया जीएसटी रिटर्न की ऑनलाइन स्क्रूटनी और मुखबिरों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर पता चला कि प्रेमनगर स्थित अशोक इलेक्ट्रिकल्स एवं होम डेकोर के यहां से उम्मीद से काफी कम जीएसटी मिल रही है। इसके बाद एक एसआईटी बनाई गई। इस टीम ने जब छापेमारी की तो पता चला कि कारोबारी बोगस फर्म के नाम पर फर्जी बिल जारी कर रहा था। अब जीएसटी अधिकारी स्टॉक और दस्तावेजों का मिलानकर टैक्स चोरी का आंकलन कर रहे हैं।
डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि डाटा विश्लेषण और दस्तावेजों की जांच में यह बात सामने आई कि कारोबारी के व्यापार का सालाना टर्नओवर 15 करोड़ से अधिक का है लेकिन उसके सापेक्ष जीएसटी का भुगतान नहीं किया जा रहा। छानबीन के दौरान यह पता चला कि व्यापारी ने बोगस फर्म बनाकर फर्जी बिल से खरीद-फरोख्त की है। जांच में पाए गए तथ्यों के आधार पर व्यापारी ने अपनी भूल स्वीकार करते हुए मौके पर 15 लाख रुपये जमा कराए।