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सुन्नियत का बड़ा नुकसान
ताजुश्शरीया मुफ़्ती अख्तर रज़ा खान के इंतकाल के बाद दरगाह आला हज़रत के सज्जादानाशीन मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी ” अहसन मियां” ने कहा कि मरकज़ ए अहले सुन्नत ने अहम शख्सियत को खो दिया। सुन्नियत का बड़ा नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई मुश्किल है। हज़रत ने अपनी पूरी जिंदगी मसलक ए आला हज़रत और सुन्नियत के फरोग के लिए काम किया।
सुन्नियत का बड़ा नुकसान
ताजुश्शरीया मुफ़्ती अख्तर रज़ा खान के इंतकाल के बाद दरगाह आला हज़रत के सज्जादानाशीन मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी ” अहसन मियां” ने कहा कि मरकज़ ए अहले सुन्नत ने अहम शख्सियत को खो दिया। सुन्नियत का बड़ा नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई मुश्किल है। हज़रत ने अपनी पूरी जिंदगी मसलक ए आला हज़रत और सुन्नियत के फरोग के लिए काम किया।
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अजहरी मियां सुन्नी समुदाय की मशहूर और मारूफ शख्सियत थे। आपने अरबी, फ़ारसी, उर्दू आदि भाषाओं में दर्जनों किताबें लिखीं। उन्होंने इस्लामी दुनिया के सबसे प्राचीन और बड़े विश्व विद्यालय जामिया अल अज़हर काहिरा मिश्र में तालीम हासिल की। अपनी बेहतरीन तालीमी रिकॉर्ड के लिए मिश्र के राष्ट्रपति कर्नल अब्दुल नासिर के हाथों फख्र ए अज़हर का अवार्ड हासिल किया। अजहरी मियां भारतीय उपमहाद्वीप में अहले सुन्नत वल जमात के बड़े और बुजुर्ग आलिमों में से एक थे।
अजहरी मियां सुन्नी समुदाय की मशहूर और मारूफ शख्सियत थे। आपने अरबी, फ़ारसी, उर्दू आदि भाषाओं में दर्जनों किताबें लिखीं। उन्होंने इस्लामी दुनिया के सबसे प्राचीन और बड़े विश्व विद्यालय जामिया अल अज़हर काहिरा मिश्र में तालीम हासिल की। अपनी बेहतरीन तालीमी रिकॉर्ड के लिए मिश्र के राष्ट्रपति कर्नल अब्दुल नासिर के हाथों फख्र ए अज़हर का अवार्ड हासिल किया। अजहरी मियां भारतीय उपमहाद्वीप में अहले सुन्नत वल जमात के बड़े और बुजुर्ग आलिमों में से एक थे।
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