सिद्धार्थ नगर की दरगाह फैज़ुल रसूल के सज्जादानाशीन मुफ़्ती गुलाम अब्दुल क़ादिर ने कहा कि आला हज़रत क़ुरान हदीस के ही जानकार नहीं थे, बल्कि साइंस में भी आपको महारत हासिल थी। आप ने फिज़िक्स, ज्युमेट्री, ज्योलोजी, कैमिस्ट्री, इकोनोमिक्स, कामर्स, स्टेटिस्टिक्स, एस्ट्रोनोमी, एल्जेब्रा आदि विषयों पर भी खूब लिखा है साइंटिस्ट आइंस्टीन के ज़मीन के गर्दिश करने के फार्मूले को ग़लत क़रार दिया है। आला हज़रत ने अपनी बात के हक़ में क़ुरान से क़रीब 105 दलीलें दी हैं। आपने पानी का रंग क्या है? यह दुनिया को बताया।
नबीरे आला हज़रत मौलाना अरसालान रज़ा खान ने कहा कि अवाम में एक गलत फहमी है कि आला हज़रत निहायत ही सख्त मिज़ाज़ थे, बल्कि ऐसा नही है उनकी सारी सख्ती मज़हब के लिए थी। सुन्नीयों के लिए नरम और गुस्ताखे रसूल के लिए सख्त थे। गोंडा से आये मुफ़्ती अमान उर रब ने अपनी तकरीर में मुसलमानों से गलत रिवाज़ जैसे मय्यत का खाना, तीजे, चालिसवे की दावत, शादियों में ढोल, डीजे जैसी सामाजिक बुराइयों से बचने को कहा। मुसलमानो पर लाज़िम है कि इस ग़लत रिवाज़ को खत्म करें, जिस चीज़ का नाजायज होना साबित हो जाये उसके बाबजूद करेगा तो गुनाहगार होगा।
आला हज़रत फ़ाज़िले बरेलवी का दरगाह पर 167 वें जन्मदिन का जश्न दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान “सुब्हानी मियां” की सरपरस्ती में मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी की सदरात में दरगाह के अंदर मनाया गया। इस अवसर पर फ़ातिहा मुफ़्ती कफ़ील हाशमी और खुसूसी दुआ सज्जादानाशीन मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी ने की। इसके बाद 167 किलो लड्डू को मुल्क़ भर से आये अक़ीदतमंदो को तक़सीम किया गया।
ये रहे मौजूद
इस मौके पर मौज़ज़्म रज़ा खान, शाहिद खान नुरी, नासिर कुरैशी, मंज़ूर खान, अबरार उल हक, इशरत नुरी, यूनुस गद्दी, यासीन नुरी, जुनैद अजहरी, सय्यद फरहत, सय्यद माज़िद नुरी, साज़िद नुरी, ज़ुबैर रज़ा आदि लोग शामिल रहे।