शिकायतकर्ता जितेंद्र पटेल का आरोप है कि पादप विज्ञान विभाग में कुलपति ने अपने गृह क्षेत्र के उपेंद्र कुमार को योग्यताओं के न होने के बाद भी यूजीसी रेगुलेशन के वर्णित प्रावधानों का उल्लंघन कर सहायक आचार्य से सीधे प्रोफेसर पद पर नियुक्त किया है। आरोप है कि उपेंद्र कुमार के पास 10 वर्ष का अनुभव सहायक आचार्य के समकक्ष वेतनमान में नहीं है।
आरोप है कि उपेंद्र कांट्ररेक्चुअल फिक्स-पे पर नियुक्त थे। इसके साथ ही पूर्व सेवा का लाभ निरंतर सेवा पर ही अनुमन्य होता है, जबकि उपेंद्र कुमार का उत्तराखंड काउंसिल फॉर बायोटेक्नोलॉजी से सीसीएस हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हिसार के बीच में सर्विस ब्रेक है। वो जीबी पंत एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी डॉक्टोरल कुमार के जर्नल में पंतनगर में पोस्ट फेलो की तरह थे। उपेंद्र रिसर्च पेपर यूजीसी लिस्टेड निर्धारित अर्हता 10 रिसर्च पेपर से कम है। उनका एपीआई निर्धारित एपीआई से कम हैं। उसके बाद भी उनकी पादप विज्ञान विभाग में आचार्य पद पर नियुक्ति की गई।
शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में कुलपति और उपेंद्र कुमार के बीच घनिष्ठ संबंधों का भी हवाला दिया है। आरोप है कि कुलपति प्रोफेसर केपी सिंह जब पंतनगर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में कार्यरत थे, तब उपेंद्र कुमार को पोस्ट डॉक्टोरल फेलो नियुक्त किया गया था। जब वो सीसीएस हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हिसार में कुलपति थे, उपेंद्र को असिस्टेंट प्रोफेसर प तब पद पर नियुक्त किया गया। अब रुहेलखंड विश्वविद्यालय में कुलपति बनने पर विश्वविद्यालय परिनियम और यूजीसी रेगुलेशन के नियमों का उल्लंघन कर उपेंद्र को सीधे प्रोफेसर पद पर नियुक्त किया गया है। यह कुलपति और उपेंद्र कुमार के घनिष्ठ संबंधों को इंगित करता है।
रुहेलखंड विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ. अमित सिंह ने बताया कि यूजीसी रेगुलेशन और यूपी स्टेट यूनिवर्सिटी एक्ट के अनुसार सभी नियुक्तियां नियमानुसार की गई हैं। मीडिया प्रभारी ने भाई भतीजावाद और क्षेत्रवाद के सभी आरोप गलत होने का दावा किया हैं। चयन समिति में राज्यपाल से नामित विशेषज्ञ शामिल थे। सभी योग्य अभ्यर्थियों का चयन किया गया है। सभी दस नियुक्तियां कार्यपरिषद से अनुमोदित हैं। नियुक्ति के बाद शासन और राजभवन को सूचना भी दी जा चुकी है।