अपराध की गंभीरता पर एसआईटी गठित मामले की गंभीरता को देखते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अनुराग आर्य के निर्देश पर पुलिस अधीक्षक दक्षिणी मानुष पारीक के पर्यवेक्षण में एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया गया। जांच के दौरान सामने आया कि खुसरो मेमोरियल पीजी कॉलेज के प्रबंधन ने उड़ीसा, हिमाचल प्रदेश, मदरहुड विश्वविद्यालय (रुड़की), और छत्रपति शिवाजी साहू महाराज विश्वविद्यालय (कानपुर) के नाम से फर्जी डी. फार्मा की डिग्रियां छात्रों को दीं और करोड़ों रुपये ठग लिए। इस धन का इस्तेमाल कॉलेज प्रबंधन ने करोड़ों रुपये की संपत्तियां बनाने में किया।
बचपन से ही डॉक्टर बनना चाहता था आरोपी, जुटाई करोड़ों की काली प्रॉपर्टी एसआईटी और एसओजी (स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप) की संयुक्त कार्रवाई के तहत 25 हजार रुपये के इनामी अभियुक्त विजय शर्मा को 18 सितंबर 2024 को झुमका तिराहा के पास से गिरफ्तार किया गया। विजय शर्मा ने पूछताछ में बताया कि उसने कई संस्थानों के साथ मिलकर फर्जी डिग्रियां बनाईं और उन्हें बेचकर धन अर्जित किया। उसने बताया कि वह विभिन्न कॉलेजों को बी. फार्मा और डी. फार्मा की मान्यता दिलाने के नाम पर काम करता था। उसने करोड़ों की प्रॉपर्टी बनाई। उसे बचपन से ही डॉक्टर बनने का शौक था।
अभियुक्त की आपराधिक पृष्ठभूमि:
विजय शर्मा का आपराधिक इतिहास लंबा है। उस पर सीबीगंज थाने में धारा 420, 467, 468, 471, 506 और 120बी के तहत तीन अलग-अलग मुकदमे दर्ज हैं। शर्मा ने 2018 में बीएनवाईएस (बैचलर ऑफ नैचुरल पैथी योगा साइंस) का कोर्स किया और फिर “आस्था कंसल्टेंसी” नामक एक संस्था खोली, जो कॉलेजों को कमीशन बेस पर मान्यता दिलाने का काम करती थी। उसने कई संस्थानों को फर्जी डिग्रियां दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
विजय शर्मा का आपराधिक इतिहास लंबा है। उस पर सीबीगंज थाने में धारा 420, 467, 468, 471, 506 और 120बी के तहत तीन अलग-अलग मुकदमे दर्ज हैं। शर्मा ने 2018 में बीएनवाईएस (बैचलर ऑफ नैचुरल पैथी योगा साइंस) का कोर्स किया और फिर “आस्था कंसल्टेंसी” नामक एक संस्था खोली, जो कॉलेजों को कमीशन बेस पर मान्यता दिलाने का काम करती थी। उसने कई संस्थानों को फर्जी डिग्रियां दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
गिरफ्तारी करने वाली टीम: