करीब 10 वर्ष पहले कैंसर शब्द भले ही कम सुनने में आता था, लेकिन अब स्थित भयावह होती जा रही है। यह एक आम बीमारी के रूप में हमारे समाज में शामिल हो गई है। भारत में नए पुराने केस मिलाकर करीब 25 लाख रोगी कैंसर बीमारी से पीड़ित है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार इस बीमारी से पूरे विश्व में करीब हर 8 मिनट में एक व्यक्ति की मौत हो जाती है। करीब एक करोड़ लोगों की हर साल इस बीमारी से मृत्यु हो रही है। बारां जिले में ही वर्ष 2018 से अब तक करीब 126 लोगों की कैंसर से मृत्यु हो चुकी है। इतना सब होने के बाद भी लोगों में कैंसर के प्रति जागरूकता की कमी है। लोग अस्पतालों में पहुंचने में उदासीनता बरत रहे है। अधिकांश लोग सामान्य जांच कराने में भी रूचि नहीं दिखा रहे है। इससे बीमारी के तीसरे-चौथे स्टेज तक पहुंचने पर पता लगता है।
सभी प्रकार के तंबाकू उत्पादों से जैसे कि बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, शराब का सेवन करने से करीब 60 फीसदी तक कैंसर होते हैं। अधिक वसायुक्त भोजन करने से (फास्ट फूड जंक फूड का अधिक सेवन), अधिक मोटापा बढऩे से कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है, वातावरण में अधिक धुआं प्रदूषण शरीर में पहुंचने से, प्रिजर्वेटिव युक्त खाना खाने से जैसे कि डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ, लंबे समय तक या मोबाइल फोन पर ज्यादा देर तक बात करना, लंबे समय तक एक ही खाद्य तेल में खाद्य पदार्थों को पकाना, गर्म खाने को प्लास्टिक में परोसने से या उसका उपयोग लेना, कम उम्र में यौन संबंध बनाना, अधिक बच्चे पैदा होना, वायरस इनफेक्शन जैसे कि हेपिटाइटिस बी वायरस ह्यूमन पेपिलोमा वायरस से, गर्भनिरोधक गोलियों का लंबे समय तक उपयोग करना, खानदानी और अनुवांशिक कैंसर होने से, केमिकल युक्त भोजन का सेवन करने से होता है।
चिकित्सकों का कहना है कि एक तिहाई कैंसर से होने वाली मौतों की वजह हमारा खानपान, तंबाकू, शराब, शारीरिक निष्क्रियता और फल-सब्जियों का कम सेवन करना है। प्रमुख रूप से फेफड़े का कैंसर, स्तन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, आंत और मलाशय कैंसर से लोग पीड़ित हो रहे हैं। इस स्थिति को देखते हुए ही वर्ल्ड कैंसर डे 4 फरवरी 2024 की थीम क्लोज द केअर गैप रखी गई है। इसका मतलब है की पूरे विश्व में हर रोगी को कैंसर का इलाज मिले। इस थीम का उद्देश्य कैंसर केयर व इलाज की असमानता को समझना और उसका निदान करना है।
90 प्रतिशत मुंह के कैंसर रोगी, समय पर जांच और इलाज जरूरी
मस्तिष्क और गला 26
मुख 70
ब्रेस्ट 2 75
फैफड़ों 31
गर्भाश्य 22
अन्य पेट, मूत्राश्य 120
मेल ओपीडी 823
फीमेल ओपीडी 1654
मेल आईपीडी 533
फिमेल आईपीडी 1119
आईवी केमोथैरेपी 951
ओरल केमोथैरेपी 136
पॉलीवेटिव केयर 565
बायोप्सी जांच 65
एसेटिक टाइप 136
(स्रोत्र: जिला अस्पताल। जिले में वर्ष 2018 से जनवरी 2024 तक की स्थिति)
राजस्थान में तेजी से बढ़ रहा कैंसर, महिला मरीजों की संख्या अधिक, रोग के ये है कारण
कैंसर बीमारी की भयानकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पंजाब से एक ट्रेन रोज राजस्थान की ओर चलती है जो कैंसर रोगियों से भरी हुई होती है इसे कैंसर ट्रेन कहा जाता है। कैंसर रोगी प्रतिदिन बढ रहे हैं और जागरूकता की कमी की वजह से लास्ट स्टेज में अस्पताल पहुंच रहे हैं।
– डॉ. हर्ष गोयल, कैंसर रोग विशेषज्ञ, कोटा
जिला अस्पताल में कैंसर वार्ड संचालित है। यहां प्रतिदिन निशुल्क जांच, उपचार, परामर्श दिया जाता है। कैमोथैरेपी की जा रही है। बायोप्सी जांच कोटा कराई जा रही है। यहां महिला मरीज अधिक चिन्हित हुए है।
– डॉ. हेमराज नागर, सर्जन एवं प्रभारी कैंसर वार्ड, जिला अस्पताल