scriptआधी बन गई तो पता चला कि खाते की जमीन पर स्वीकृत कर दी सड़क | When half of the construction was done, it was discovered that the road was approved on the land owned by the account | Patrika News
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आधी बन गई तो पता चला कि खाते की जमीन पर स्वीकृत कर दी सड़क

अटरू तहसील के नृङ्क्षसहपुरा गांव में गणेशजी और भैरूजी के मंदिर को सडक़ से जोडऩे का कार्य तकनीकी समस्या के चलते दो पाटों के बीच फंसकर रह गया है। करीब 95 लाख की लागत से स्वीकृत यह डेढ़ किमी की सीसी सडक़ का मामला विभागीय स्तर पर काफी सुर्खियों में आ गया है। दरअसल विधानसभा चुनाव से पहले आनन-फानन में क्षेत्र के लोगों की मांग पर नृङ्क्षसहपुरा में गणेशजी और भैरूजी के मंदिर को सडक़ मार्ग से जोडऩे के लिए निजी खाते की जमीन पर सड$क स्वीकृत कर दी गई थी। उस समय तो मामला कागजों में था, लेकिन निर्माण शुरू हुआ तो पता लगा कि यहां तो राजस्व विभाग की सरकारी जमीन ही नहीं है। निजी खातेदारों के खेत हैं। आसपास भी अतिक्रमण हो रहा है। अब कुछ दिनों से काम अधूरा पड़ा है।

बारांJul 23, 2024 / 11:37 am

mukesh gour

अटरू तहसील के नृङ्क्षसहपुरा गांव में गणेशजी और भैरूजी के मंदिर को सडक़ से जोडऩे का कार्य तकनीकी समस्या के चलते दो पाटों के बीच फंसकर रह गया है। करीब 95 लाख की लागत से स्वीकृत यह डेढ़ किमी की सीसी सडक़ का मामला विभागीय स्तर पर काफी सुर्खियों में आ गया है। दरअसल विधानसभा चुनाव से पहले आनन-फानन में क्षेत्र के लोगों की मांग पर नृङ्क्षसहपुरा में गणेशजी और भैरूजी के मंदिर को सडक़ मार्ग से जोडऩे के लिए निजी खाते की जमीन पर सड$क स्वीकृत कर दी गई थी। उस समय तो मामला कागजों में था, लेकिन निर्माण शुरू हुआ तो पता लगा कि यहां तो राजस्व विभाग की सरकारी जमीन ही नहीं है। निजी खातेदारों के खेत हैं। आसपास भी अतिक्रमण हो रहा है। अब कुछ दिनों से काम अधूरा पड़ा है।

अटरू तहसील के नृङ्क्षसहपुरा गांव में गणेशजी और भैरूजी के मंदिर को सडक़ से जोडऩे का कार्य तकनीकी समस्या के चलते दो पाटों के बीच फंसकर रह गया है। करीब 95 लाख की लागत से स्वीकृत यह डेढ़ किमी की सीसी सडक़ का मामला विभागीय स्तर पर काफी सुर्खियों में आ गया है। दरअसल विधानसभा चुनाव से पहले आनन-फानन में क्षेत्र के लोगों की मांग पर नृङ्क्षसहपुरा में गणेशजी और भैरूजी के मंदिर को सडक़ मार्ग से जोडऩे के लिए निजी खाते की जमीन पर सड$क स्वीकृत कर दी गई थी। उस समय तो मामला कागजों में था, लेकिन निर्माण शुरू हुआ तो पता लगा कि यहां तो राजस्व विभाग की सरकारी जमीन ही नहीं है। निजी खातेदारों के खेत हैं। आसपास भी अतिक्रमण हो रहा है। अब कुछ दिनों से काम अधूरा पड़ा है।

फंसा पेंच, सीमाज्ञान के बाद न अतिक्रमण हटे न रास्ते का हो सका खुलासा

बारां. अटरू तहसील के नरसिंहपुरा गांव में गणेशजी और भैरूजी के मंदिर को सडक़ से जोडऩे का कार्य तकनीकी समस्या के चलते दो पाटों के बीच फंसकर रह गया है। करीब 95 लाख की लागत से स्वीकृत यह डेढ़ किमी की सीसी सडक़ का मामला विभागीय स्तर पर काफी सुर्खियों में आ गया है। दरअसल विधानसभा चुनाव से पहले आनन-फानन में क्षेत्र के लोगों की मांग पर नरसिंहपुरा में गणेशजी और भैरूजी के मंदिर को सडक़ मार्ग से जोडऩे के लिए निजी खाते की जमीन पर सडक स्वीकृत कर दी गई थी। उस समय तो मामला कागजों में था, लेकिन निर्माण शुरू हुआ तो पता लगा कि यहां तो राजस्व विभाग की सरकारी जमीन ही नहीं है। निजी खातेदारों के खेत हैं। आसपास भी अतिक्रमण हो रहा है। अब कुछ दिनों से काम अधूरा पड़ा है।
नहीं मिल सका बजट

सूत्रों ने बताया कि सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से ग्राम नरसिंहपुरा से शांतिलाल नायक के मकान से गणेशजी के मंदिर होते हुए भैरूजी महाराज के मन्दिर तक डेढ़ किमी लम्बाई ओर 3.75 मीटर चौड़ाई में सडक़ का निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए करीब 95 लाख का बजट स्वीकृत किया गया है। वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति जारी होने के बाद 27 सितम्बर 2023 को संवेदक फर्म को कार्य आदेश जारी किया गया। इसके बाद विधानसभा चुनाव की तैयारी में अधिकारियों की व्यस्तता, चुनाव आचार संहिता, लोकसभा चुनाव की आचार संहिता आदि कारणों से बजट नहीं मिला तो काम भी देरी से शुरू हुआ। इससे अब तक करीब 7 सौ मीटर सीसी सडक़ बनी है। जिम्मेदारों का कहना है कि अब तक एक रुपए का भी बजट नहीं मिला। इस मामले में कुछ ग्रामीणों की ओर से मिलीभगत कर अन्य अस्वीकृत जगहों पर सडक़ बनाने व भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, प्रमुख शासन सचिव, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, सार्वजनिक निर्माण विभाग समेत विभिन्न उच्च स्तर पर लिखित शिकायत भेजी गई है। शिकायत में कहा गया कि सडक़ से ग्रामीणों व दर्शनार्थियों को कोई लाभ नहीं मिला। हिन्दू धर्म की आस्था के केन्द्र भैरूजी महाराज के मंदिर तक सडक़ नहीं बनाकर जानबूझकर ग्रामीणों को दर्शन करने से वंचित किया जा रहा है। जहां सीसी की गई, वहां कई स्थानों पर पहले से ही खरंजा व सीसी किया था। उसी पर दुबारा सीसी कर सरकारी धन की बर्बादी की गई है।
नृङ्क्षसहपुरा में 95 लाख की लागत से डेढ़ किमी सीसी की जा रही है। 7 सौ मीटर में निर्माण हो गया है। आगे समस्या आने पर सीमाज्ञान कराया गया तो कुछ अतिक्रमण व निजी खाते की जमीन होना पाया गया। स्वीकृत आदेश में मुआवजा का भी प्रावधान नहीं रखा गया है। फिलहाल बारिश के चलते काम बंद है। बजट अब तक जीरो मिला है। गांव में अन्य जगह निर्माण विभाग की ओर से सडक़ नहीं बनाई जा रही है।
राजेन्द्र बैरवा, एईएन, सार्वजनिक निर्माण विभाग (खण्ड अटरू)

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