केलवाड़ा. आदिवासी महिलाओं ने वनभूमि में लगातार हो रहे अतिक्रमण के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। गुरुवार को जंगल की जमीन पर अतिक्रमण कर अवैध खेती करने वालों के खिलाफ महिलाओं ने प्रदर्शन किया और कार्रवाई की मांग की है। इसके बाद महिलाओं ने कार्रवाई की मांग को लेकर नायब तहसीलदार को ज्ञापन दिया है।
यह है मामला
केलवाड़ा क्षेत्र में वन भूमि पर अतिक्रमण को लेकर होड़ मच रही है। वन विनाश को देखते हुए आदिवासी दर्जनों महिलाओं ने भूमाफियाओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सूखा सेमली गांव की आदिवासी महिलाओं ने अपने आसपास जंगल को कटते देख निराशा जाहिर की है। आदिवासी महिलाएं संगठित होकर अतिक्रमण खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए रेंज कार्यालय केलवाड़ा पहुंची और भूमाफिया पर कार्रवाई करने को लेकर शिकायत दर्ज कराई। मौके पर मौजूद फॉरेस्टर रामकिशन नागर ने 24 घंटे के अंदर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।
केलवाड़ा क्षेत्र में वन भूमि पर अतिक्रमण को लेकर होड़ मच रही है। वन विनाश को देखते हुए आदिवासी दर्जनों महिलाओं ने भूमाफियाओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सूखा सेमली गांव की आदिवासी महिलाओं ने अपने आसपास जंगल को कटते देख निराशा जाहिर की है। आदिवासी महिलाएं संगठित होकर अतिक्रमण खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए रेंज कार्यालय केलवाड़ा पहुंची और भूमाफिया पर कार्रवाई करने को लेकर शिकायत दर्ज कराई। मौके पर मौजूद फॉरेस्टर रामकिशन नागर ने 24 घंटे के अंदर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।
आश्वासन मिला तो पहुंची तहसील महिलाएं फॉरेस्टर के आश्वासन के बाद उप तहसील कार्यालय पहुंची। जहां जिला कलेक्टर के नाम नायब तहसीलदार प्रतिनिधि प्रदीप मेहता को ज्ञापन दिया। आदिवासी महिलाओं ने भूमाफियाओं पर शीघ्र कार्रवाई की मांग की है। आदिवासी महिलाओं ने थाना अधिकारी को भी ज्ञापन देकर उचित कार्रवाई की मांग की।
शिकायत पर माफिया से मिल रही धमकियां भूमाफियाओं का विरोध करने पर महिलाओं को धमकियां भी मिल रही है। राम बाई, रेखा बाई, मुकेशी बाई, कपुरी, शकुंतला, कंचन बाई, गुड्डी, जानकी, प्रेम बाई, सीमा, सुंदर बाई, सीता, लश्मा, द्रोपती, बादम, किश्मत, सीता, अनारकली, सुनीता बाई, चमेली, रेखा ने बताया कि विरोध करने पर हमें अतिक्रमियों द्वारा भी धमकियां दी जाती है। प्राचीनकाल से ही सहरिया समाज के लोग वनप्रेमी रहे हैं। जंगल ही आदिवासी समाज की आजीविका का प्रमुख साधन था। देखते ही देखते जंगल को खेतों में तब्दील कर दिया गया है। जहां पर जंगल हुआ करते था आज वहां पर फसलें लहलहाती नजर आ रही हैं।