परंपरा वही-सोच नई : बहीखातों की पूजा करने वाले बचे कम new trend : बारां. दीपावली के दिन व्यापारी वर्ग के लिए महत्वपूर्ण बहीखाता का पूजन भी जमाने के साथ हाईटेक हो गया है। धार्मिक रीति रिवाज और परंपरा तो बरकरार है, लेकिन इसके तौर तरीके बदल गए हैं। बहीखातों का जमाना नहीं रहा। इसलिए हिसाब किताब रखने वाले कंप्यूटर और लैपटॉप को ही ‘बही’ मानकर इनकी पूजा करते हैं। बहुत से व्यापारी-कारोबारी अपने संज्ञान के लिए मोबाइल में भी हिसाब-किताब रखते हैं। इसलिए अब इनकी भी पूजा होने लगी है। शगुन के तौर पर पूजा के लिए नया बहीखाता लाया जाता है, जिसे पूजने के बाद सुरक्षित रख दिया जाता है। व्यापारी छोटा हो या बड़ा, सभी खाता पूजन धार्मिक रीति रिवाज और परंपरागत तरीके से करते हैं। बड़े कारोबारियों के यहां पंडित, पूजन सामग्री और मंत्र वही हैं, लेकिन पूजने वाली वस्तुएं बदल गईं हैं।
पहले जैसे अब नहीं खोले जाते नए खाते दीपावली के दिन अब व्यापारी नए बहीखाते नहीं खोलते। बल्कि कंप्यूटर और लैपटॉप पर ही उनके खातों का हिसाब होता है। इसलिए उसी पर स्वास्तिक का चिह्न बनाकर पूजा करते हैं। जानकारों का कहना है कि ऑनलाइन कारोबार से मिल रही चुनौती के बीच अब आम व्यापारी भी कंप्यूटर और इंटरनेट जैसे आधुनिक आईटी उपकरणों का इस्तेमाल करने लगे है। सौदे लिखने और बही का हिसाब अब खाता खतौनी में नहीं बल्कि कंप्यूटर नेटवर्क के जरिये होता है। व्यापारियों का कहना है कि दिवाली पूजन आधुनिक हो गया है।
इनका होता है पूजन व्यापारियों ने बताया कि दीपावली पर विशेष मंत्र से बही-खातों पर रोली व पुष्प चढ़ाते हैं। फिर नए बहीखातों को लाल कपड़े में रखकर ऊं सरस्वत्यै नम: मंत्र के साथ बहीखाता और तराजू बांट की पूजा करते हैं। इसके बाद कप्यूटर, लैपटॉप और सीपीयू आदि की पूजा होती है। कारोबारी राजेश कुमरा व मनोज मारू ने बताया कि परपराएं वही हैं। बस निभाने के तौर तरीके बदले हैं। बही की जगह अब कंप्यूटर पूजे जाने लगे हैं।
व्यापार से जुड़ी हर चीज का करते हैं पूजन व्यापारियों ने बताया कि शगुन के तौर पूजन के लिए बही खाता, तराजू, दवात, स्याही मंगाई जाती है। छोटे व्यापारी अब भी बहीखाते का इस्तेमाल करते हैं। व्यापार में सहायक हर वस्तु की पूजा होती है। हितेष खंडेलवाल ने बताया कि दिवाली पर व्यापारी प्रतिष्ठान के मुख्य द्वार की दीवार पर दोनों ओर घी मिलाकर शुभ-लाभ लिखकर स्वास्तिक का चिह्न बनाते हैं।