किशनगंज. राजस्थान पत्रिका की ओर से साइबर फ्रॉड से बचाव और जागरूकता को लेकर संचालित सुरक्षा कवच अभियान के तहत सोमवार को किशनगंज में आयोजन किया गया। भारत माता शिक्षण संस्थान के विद्यार्थियों को भारतीय स्टेट बैंक शाखा प्रबंधक दिनेश कुमार, थाना एएसआई सूरजमल व संस्थान के प्राचार्य हेमराज नायक ने ठगी के बचने के उपायों के बारे में जागरुक किया।
जागरुक किया, बचाव के टिप्स दिए कार्यशाला में बच्चोंं को कई महत्वपूर्ण जानकारी दी गई। इसमें बताया गया कि साइबर अपराधी हर दिन खुद को अपडेट कर ठगी के नए-नए तरीके निकाल रहे हैं। वे कई माध्यमों से लोगों के मोबाइल नम्बर, निजी जानकारी का डाटा खरीद और चोरी कर रहे है। कई मामलों में मोबाइलों पर एपीके नाम से ङ्क्षलक भेजकर चोरी करने वाला वायरस लोड करवा रहे हैं। आम इंसान रुपयों के लालच में आसानी से फंसकर इनकी ठगी का शिकार हो रहा है। लोग कई बार किसी को घटना की जानकारी देने से भी कतराते हैं। लेकिन सजग रहते हुए मोबाइल चलाने से इससे सहजता से बचा जा सकता है। हमें किसी भी अनजान ङ्क्षलक पर क्लिक नहीं करना है। किसी को भी ओटीपी नहीं बताना है। संदिग्ध ङ्क्षलक पर क्लिक करते ही वायरस के रूप में शातिर चोर आपके मोबाइल में दाखिल हो जाता है और आपकी निजी जानकारी चुराकर डिजिटल अरेस्ट कर सकता है। ऐसे में सावधानी और सतर्कता ही सबसे बड़ा बचाव है।
राजस्थान पत्रिका की मुहिम का आभार राजस्थान पत्रिका की मुहिम की प्रशंसा करते हुए शाखा प्रबंधक दिनेश कुमार ने बताया कि बैंक अकाउंट की जानकारी किसी को न दें। अपने फोन या जीमेल के पासवर्ड को हमेशा मजबूत रखें। अनजान ङ्क्षलक पर कभी भी क्लिक न करें। यह खतरनाक हो सकता है। सावधानी में अपनी पर्सनल डिटेल्स सुरक्षित रखें। संदिग्ध ई-मेल और कॉल से बचें। पासवर्ड मजबूत रखें, वेबसाइट की जांच करें।
साइबर लॉन्ड्रिंग अपराधी इन मुद्राओं का उपयोग ऑनलाइन सामान और सेवाएं खरीदने, सीमाओं के पार धन हस्तांतरित करने और आय को पारंपरिक मुद्राओं में वापस बदलने के लिए कर सकते हैं। इसलिए अपना कोई डिजिटल निशान न छोड़ें। साइबर ठग परिष्कृत तकनीकों का भी उपयोग कर सकते हैं। जैसे कि मिङ्क्षक्सग सेवाएं, ये कई लेन-देन के धन को मिला देती हैं, ताकि मूल स्रोत का पता लगाना मुश्किल हो जाए।
फार्मिंग साइबर फ्रॉड इसमें ग्राहक को पैसों से संबंधित लुभावनी वेबसाइट या एप्स, ङ्क्षलक बनाकर भेजा जाता है, इसको ग्राहक द्वारा खोला जाता है और बाद में ग्राहक साइबर ठगी का शिकार बन जाता है। फिङ्क्षशग ठगी में इसमें ग्राहक को ईमेल के माध्यम से ठगी का शिकार साइबर ठगों द्वारा बनाया जाता है। थाना एएसआई सूरजमल ने बतया कि इस्मॉर्जिंग में इसमें संदेश के माध्यम से, (टेक्स्ट मैसेज) ठगी की जाती है। दिनेश ने बताया कि अधिक जानकारी के लिए संबंधित शाखा में संपर्क किया जा सकता है। साथी साथ बताया कि 1930 पर कॉल करके शिकायत दर्ज करवाना वह बैंक की वेबसाइट पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करना बताया।
कभी शिकार हों तो थाने पर दें सूचना साइबर एक्सपर्ट ने साइबर थाने पर पहुंच रहे कई मामलों की जानकारी देकर सावधान रहने के तरीके बताए। बैंक संबंधी मैसेज आने पर शंका हो तो बैंक डायरी पर लिखे कस्टमर केयर पर बात करें। बैंक कभी भी इस तरह के ङ्क्षलक अपने ग्राहकों को नहीं भेजता है। अनजान नंबरों से फोन व मैसेज आने पर सतर्क हो जाए। इस दौरान खासतौर पर महिलाओं को सतर्क रहने की सलाह दी गई। शातिर उन्हें फ्री गिफ्ट मिलने तथा बच्चे व पति को किसी अपराध में गिरफ्तार करने के बहाने डरा धमकाकर पैसा ऐंठने का प्रयास करते है। ऐसे कॉल आने पर पैसा नहीं दें। नजदीकी पुलिस व परिचित को सूचना दें। अपने बच्चे व पति आदि के नम्बर पर बात करें।