बारां

अवैध कॉलोनियां हो रही विकसित, खेती की जमीनों के दाम 10 गुना उछले, भूखंड काटकर कमा रहे तगड़ा मुनाफा

राजस्थान के बड़े शहरों की तर्ज पर मांगरोल में भी प्रोपर्टी डीलरों ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। इससे एक बीघा जमीन 15 से 60 लाख रुपए कीमत में बिक रही है।

बारांDec 29, 2024 / 06:19 pm

Santosh Trivedi

बारां/मांगरोल। खेती की जमीनों की खरीद फरोख्त का धंधा आजकल यहां परवान चढ़ा है। खरीद फरोख्त की सरकारी दरें अब कहने की बात रह गई है। पहले खेती की जमीन को कम भाव में खरीदा जाता तो सरकारी दर से रजिस्ट्री होती थी। अब सरकारी दर तो पीछे छूट गई है। राजस्थान के बड़े शहरों की तर्ज पर मांगरोल में भी प्रोपर्टी डीलरों ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। इससे एक बीघा जमीन 15 से 60 लाख रुपए कीमत में बिक रही है। सड़क सहारे हो तो कहने ही क्या, ऐसी भूमि के बेचवाल मांग ले जो हैं, तो खरीदार भी इनको लेने से नहीं चूक रहे।

पंजाब-हरियाणा के लोगों का दखल

पंजाब व हरियाणा में रहने वाले लोगों ने वहां मंहगे भावों में अपनी जमीनें बेचकर यहां जमीनें खरीदना शुरु किया तो यहां भी भावों में एकदम उछाल आ गया। ऐसा पिछले एक दशक से हो रहा है। अब तो यह हालत हो गई है कि खरीदार ज्यादा व बेचवाल कम रह गए हैं। ऐसे में दामों के बढ़ने का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है।
अनुसूचित जाति व जनजाति की जमीनें सवर्ण नहीं खरीद सकते। ऐसे में सवर्णों की यहां स्थित कृषिभूमि की मांग ज्यादा है। लेकिन प्रोपर्टी डीलर अनुसूचित जाति की जमीनें यदि रोड सहारे है तो औने-पौने दामों में नोटेरी के जरिए खरीदकर उस पर आवासीय कालोनियों के लिए भूखंड काटकर बेचकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। ऐसे में राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है।
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एक बार आए तो यहीं के होकर रह गए

पंजाब हरियाणा व राजस्थान के कई जिलों से यहां जमीन खरीदने वाले लोग खेती के लिए जमीन खरीदने के बाद यहीं परिवार समेत बसने भी लगे हैं। मंदिरों पर सेवा पूजा व अन्य तरीकों से आवंटित हुई जमीनें भी लोगों ने नियमों को धता बताकर बेचकर पैसा कमा लिया। यहां ऐसी जमीनों की रजिस्ट्री तक हो गई जबकि ऐसी भूमियां जो माफी के नाम पर भगवान के नाम दर्ज हैं। रजिस्ट्री करने का प्रावधान नहीं है।

हमेशा एक सा जवाब

जब राजस्व विभाग के नाते तहसील प्रशासन से पूछा जाता है तो वह आबादी में आने से नगरपालिका की जिम्मेदारी बता देती है। अधिशासी अधिकारी से पूछा जाता है तो अवैध कालोनियों के बारे में हर बार एक ही जवाब होता है। कार्यवाही करेंगे, नोटिस देंगे। लेकिन आज तक इसके नाम पर कुछ हुआ नहीं है। वर्तमान में बारां रोड पर नयी प्लानिंग काटी जा रही है। इसको बिना कन्वर्ट कराए खरीद हो गई।
अब प्लानिंग काट मोटा मुनाफा कमाया जा रहा है। नगरपालिका ने इस पर रोक के प्रयास नहीं किए हैं। उधर आवासीय व व्यावसायिक योजनाओं के विस्तार के साथ सरकार ने स्वायत्त शासन विभाग के माध्यम से पत्र भेजकर कहा है कि आर्थिक सहयोग के लिए सरकार की तरफ न देखें।
अपनी आय बढाने के नये स्रोत तैयार करें। इससे विकास कार्यों पर असर पड़ रहा है। इसके बावजूद अवैध प्लानिंग व अवैध अतिक्रमण हटाने के मामले में नगरपालिका की कार्यवाही शून्य नजर आ रही है। इससे लाखों के राजस्व का खमियाजा भुगतना पड़ रहा है। इससे विकास में भी बाधा पैदा हो रही है।
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खेती का रकबा लगातार घट रहा

खेती योग्य भूमि का मोटा पैसा आने के कारण अब लगातार खेती की जमीन घट रही है। वहां आवासीय कॉलोनियां ज्यादा अस्तित्व में आ रही है। तो प्रॉपर्टी डीलरों की भी भरमार हो गई है। हालांकि अब बाहर के राज्यों के लोगों का आना तो बंद हो गया, लेकिन एक बार आया उछाल अब कम होने का नाम नहीं ले रहा हैं। ऐसे में अब रोड़ सहारे की जमीन होना लोगों को करोड़पति बना रहा है।
अवैध प्लानिंग के हो रहे निर्माण पर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। कस्बे और इसके आसपास बिना स्वीकृति के हो रहे अवैध निर्माण पर रोक लगाई जाएगी।

नरेश राठौर, अधिशासी अधिकारी, नगरपालिका, मांगरोल

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