जिले में 1.60 लाख टन का हुआ था उत्पादन: बारां जिले में हालांकि वर्ष 2021-22 में लहसुन के भावों में भारी गिरावट के चलते वर्ष 2022-23 में रकबा घटा था। जिले में करीब 34 हजार हैक्टेयर में लहसुन की बुवाई हुई थी। उत्पादन करीब 1.60 लाख टन के करीब हुआ। शुरुआत से ही लहसुन के भावों में तेजी आना शुरु हुआ जो अभी तक भी बरकरार है।
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बारिश पर रकबा निर्भर: इस बार यदि पर्याप्त बरसात होती है तो रकबा बढ़ने की उम्मीद है। मौसम के हालात को देखते हुए लागत बढऩे का अंदेशा बना हुआ है। जिन किसानों के पास घर का बीज होगा। उनको प्रति बीघा 25 हजार का खर्च आना है। लेकिन बीज खरीद कर बुवाई करने पर लागत 40 हजार पार कर सकती है। यह 25 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच सकती है। लहसुन की फसल में करीब 9 से 10 बार सिंचाई की जरुरत होती है। जो कि अब आगामी समय में बरसात की स्थिति पर भी निर्भर करेगा।
यह है भावों की स्थिति: मंडियों में वर्तमान में बोम्ब, डबल बोम्ब, बॉक्स की सबसे उंची किस्म का लहसुन आता है। जो कि 11 से 14 हजार तक के भावों में बिक रहा है। वही एवरेज माल में लड्डू, फूल गोला आदि 9 से 11 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक तथा मीडियम क्वालिटी में लाटरी व छोटा लड्डू 8 से 9 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक बिक रहा है। देश के विभिन्न राज्यो समेत विदेशो में मांग यहां के लहसुन में मिट्टी व जलवायु की अनुकूलता के चलते स्वाद तथा चमक अधिक होती है। इसके चलते देश के यूपी, बिहार, बंगाल, असम, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तमिलनाडू, कर्नाटक, उड़ीसा, दिल्ली, गुजरात तथा जयपुर तक यहां से लहसुन भेजा जाता है। बांग्लादेश में यहां के लहसुन की अधिक मांग होने से निर्यात किया जाता है। बारां मंडी में करीब एक दर्जन लहसुन यूनिट संचालित हैं।
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गुपचुप आ रहा विदेशी: लहसुन व्यापारियों ने बताया कि देश में चीन व इराक का लहसुन गुपचुप तरीके से आ रहा है। इसके चलते भावो में गिरावट होने लगी है। हालांकि श्रावण मास के बाद ग्राहकी बढ़ जाने से लेवाली में तेजी आने की संभावना बनी हुई है। जो कि लम्बे समय तक आगामी फसल आने तक रहने की उम्मीद है।
इस बार भावों ने तोड़े रिकार्ड: वर्ष 2021-22 में लहसुन के भावों में भारी गिरावट के चलते किसानों को लहसुन फेंकने पर मजबूर होना पड़ा था। लेकिन वर्ष 2022-23 में भाव रिकार्ड स्तर पर पहुंच गए। लगातार मांग बढऩे से जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में लहसुन के भावों ने 21 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंचकर रिकार्ड बनाया है। हालांकि श्रावण मास में ग्राहकी मंदी पड़ जाने के कारण वर्तमान में 13 से 14 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक के उच्चतम भावों पर लहसुन की बिकवाली हो रही है। लहसुन मंडी व्यापार संघ के अध्यक्ष जगदीश बंसल ने बताया कि शुरुआत दौर में तो मंडी में 8 से दस हजार कट्टे प्रतिदिन आवक रही। लेकिन अब यह 3 से 4 हजार कट्टे पर आ गई है। अब तक करीब 60 फीसदी माल मंडियों में आ चुका है।