कभी रहता था इलाके में टाइगर का मूवमेंट
सूत्रों का कहना है कि किसी जमाने में बारां जिले के शाहाबाद का जंगल काफी क्षेत्र में फैला हुआ था। करीब 30-35 वर्ष पहले तक यहां टाइगर का मूवमेंट भी रहता था। वर्तमान में भी यहां पर पैंथर, भालू, जरख, लोमड़ी सहित अन्य वन्यजीव पाए जाते हैं। इनके अलावा नीलगाय, जंगली बिल्ली, सियार आदि वन्यजीव भी यहां देखे जाते हैं। शाहाबाद से सटे मध्यप्रदेश के जंगल को कूनो अभयारण्य बना दिए जाने के बाद वहां अफ्रीका से लाकर चीतों को बसाया गया। इन चीतों को भी शाहाबाद का जंगल भा रहा है। दो बार कुनो से चीते निकल कर शाहाबाद की ओर तक पहुंच चुके है। इससे जंगल सुरक्षित रहेंगे तो चीतों के लिए नई टैरिटेरी बनने की पूरी उम्मीद है।
फिर इसकी योजना
सूत्रों की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार सरकार की ओर से प्रोजेक्ट को लेकर दी गई इन ङ्क्षप्रसिपल स्टेज-1 की अनुमति में लगाई गई शर्तों के अनुरूप प्रभावित वन्यजीवों के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून की ओर से वाइल्ड लाइफ कन्जर्वेशन प्लान तैयार कर कार्य प्रस्तावित किए जाने है। जिसका अनुमोदन प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के स्तर पर अपेक्षित है।
नैसर्गिक रूप से जंगल पनपने में सैकड़ों साल लग जाते हैं। क्षेत्र का विकास भी हो और जंगल भी बच जाएं। ऐसा रास्ता अपनाना होगा। एक बार हमने प्रकृति की इस अनमोल देन को गवां दिया तो इसकी क्षतिपूर्ति कभी नहीं हो पाएगी। हरियाली को नष्ट करके ग्रीन एनर्जी बनाने की योजना समझदारी वाला कदम नहीं कहा जा सकता है।
नीरज कुमार नामा, प्रकृति प्रेमी
नीरज कुमार नामा, प्रकृति प्रेमी
क्षेत्र का विकास आवश्यक है, लेकिन ये कैसा विकास जो लाखों पेड़ों की बलि चढ़ाने के बाद मिले। वर्तमान हालातों के चलते पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन से ङ्क्षचतित है। सरकार के स्तर पर भी एक तरफ पौधे लगाने के लिए लोगों को प्ररित किया जा रहा है। दूसरी ओर यहां लाखों पेड़ों को काटने की तैयारी की जा रही है।
मनोज कुमार सोनी, शाहाबाद
मनोज कुमार सोनी, शाहाबाद