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असमंजस दूर, व्यापारियों और समाजों की दिवाली 31 अक्टूबर को होना तय

शहर के आराध्य देव श्रीजी मंदिर की ओर से भी 31 को ही दिवाली मनाए जाने की बात कही गई है। मंदिर के पुजारी दुर्गाशंकर शर्मा ने बताया कि 2 नवंबर को अन्नकूट मनाया जाएगा।

बारांOct 28, 2024 / 03:34 pm

mukesh gour

शहर के आराध्य देव श्रीजी मंदिर की ओर से भी 31 को ही दिवाली मनाए जाने की बात कही गई है। मंदिर के पुजारी दुर्गाशंकर शर्मा ने बताया कि 2 नवंबर को अन्नकूट मनाया जाएगा।

शहर के आराध्य देव श्रीजी मंदिर की ओर से भी 31 को ही दिवाली मनाए जाने की बात कही गई है। मंदिर के पुजारी दुर्गाशंकर शर्मा ने बताया कि 2 नवंबर को अन्नकूट मनाया जाएगा।

प्रदोष वेला, महानिशीथ काल 31 को ही

बारां. दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाए या 1 नवंबर को…. इसे लेकर हर किसी के मन में असमंजस है। अधिकांश मंदिर, समाज और सभी व्यापारी संगठनों ने 31 अक्टूबर को ही दिवाली मनाने का निर्णय लिया है। पाठकों की जिज्ञासा को दूर करने पत्रिका ने व्यापारी संगठनों, समाजों से चर्चा की तो 31 को दिवाली मनाने का निर्णय सामने आया है। सबसे खास ये है कि शहर के आराध्य देव श्रीजी मंदिर की ओर से भी 31 को ही दिवाली मनाए जाने की बात कही गई है। मंदिर के पुजारी दुर्गाशंकर शर्मा ने बताया कि 2 नवंबर को अन्नकूट मनाया जाएगा। पंडित राजेश शर्मा ने बताया कि 31 अक्टूबर गुरुवार को दोपहर 03.52 मिनट से अमावस तिथि लगेगी जो कि दूसरे दिन 1 नवंबर शुक्रवार की शाम 6.17 मिनट तक रहेगी। दीपावली पर्व के लिए सबसे महत्वपूर्ण प्रदोष वेला एवं महानिशीथ काल 31 को ही मिल रहे हैं। अत: इस वर्ष दीपावली पर्व उदया चतुर्दशी तिथि में 31 को ही मनाया जाएगा। पर्व काल होने से संपूर्ण दिवस पर्यंत पूजन कर सकते हैं। कुछ जगह 1 नवंबर को दिवाली मनाई जाएगी। हालांकि इसकी संख्या न के बराबर रहेगी।
आज विशेष योग संयोग में मनेगी धनतेरस, सजा बाजार

छबड़ा. त्योहारी सीजन में बाजार खिलखिला रहा है। अब धनतेरस के कारोबार से बाजार को उम्मीद है। यही वजह है कि इस बार धनतेरस का त्योहार ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार बेहद खास है। इस साल 29 अक्टूबर को धनतेरस है। इस दिन बुध ग्रह वृश्चिक राशि में प्रवेश कर शुक्र के साथ मिलकर लक्ष्मी नारायण राजयोग बनाएंगे। इस दिन त्रिग्रही योग, त्रिपुष्कर योग, इंद्र योग, वधृति योग और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का भी संयोग बनेगा। धनतेरस पर यह महासंयोग 150 वर्ष बाद बन रहा है। इस योग में कुबेर का पूजन श्रेष्ठ व शुभफलदायी माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में बुध को बुद्धि और ऐश्वर्य का कारक और शुक्र को धन और भौतिक सुखों का कारक माना गया है। मान्यता है कि दोनों ग्रहों के मिलने से बनने वाला लक्ष्मी नारायण योग जीवन में तरक्की के नए रास्ते खोलता है। 150 वर्ष बाद लक्ष्मीनारायण राजयोग के साथ 4 शुभ योगों का संयोग धनतेरस पर बनेगा। सुबह से शाम तक शुभ योग धनतेरस पर बन रहा त्रिपुष्कर योग सुबह 6.31 बजे से शुरू होकर सुबह 10.31 बजे तक रहेगा। सुबह 7.48 बजे तक इंद्र योग है। उसके बाद वैधृति योग बनेगा। इस दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र शाम 6.34 बजे तक रहेगा। इसके बाद से हस्त नक्षत्र होगा। यही वजह है कि 29 को धनतेरस, 30 को रूप चतुर्दशी, 31 अक्टूबर को दीपावली पर अच्छा कारोबार रहने की उम्मीद है।

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