बारां . हाड़ौती अंचल की अन्नपूर्णा वराह नगरी को प्राणवायु प्रदान करने वाले शाहाबाद के जंगल में लगने वाले हाइड्रो पावर प्लांट के लिए ग्रीनको एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड को आवंटित 407.8277 हेक्टेयर वनभूमि का विरोध अब जोर पकडऩे लगा है। योजना के तहत शाहाबाद के जंगलों से पेड़ों को काटने के विरुद्ध चलाया जा रहे आंदोलन में झालावाड़ अभिभाषक परिषद भी जुड़ गई है। हाड़ौती ही नहीं बल्कि राज्य और देश भर के पर्यावरण प्रेमी और पर्यावरणविदों के साथ साथ समाज के विभिन्न क्षेत्रों के लोग भी इसमें शामिल हो चुके हैंं। अभिभाषक परिषद ने भी समर्थन देते हुए शाहबाद जंगल बचाओ आंदोलन को हर संभव सहयोग देने का फैसला लिया है।
अभिभाषक परिषद झालावाड़ के अध्यक्ष राम माहेश्वरी, सदस्य धीरज आचार्य, अमितोष आचार्य और झालावाड़ में कार्य कर रहे पर्यावरण संरक्षक शशांक श्रोत्रिय ने बताया कि शाहबाद जंगल बचाओ आंदोलन के समर्थन सोमवार को परिषद के सदस्यों ने झालावाड़ कोर्ट परिसर में एक साथ मिलकर इस मामले को लेकर अपनी आवाज बुलंद करते हुए इन पेड़ों की कटाई रोकने की मांग की। साथ ही ग्रीनको एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा लगाए जा रहे हाइड्रो पावर प्लांट की मंजूरी के केंद्र सरकार और राजस्थान सरकार के आदेश की भत्र्सना की। ज्ञातव्य है कि केंद्र सरकार और राजस्थान सरकार द्वारा शाहबाद संरक्षित वन क्षेत्र में हाइड्रो पावर प्लांट लगाने के लिए ग्रीनको एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड को 407.8277 हेक्टेयर जमीन पर लगे 119759 पेड़ों को काटे जाने की मंजूरी दे दी है। इससे जिले के शाहाबाद की सुरम्य और सघन घाटियों के अस्तित्व पर गहरा संकट आ खड़ा हुआ है। हालांकि राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार इस वन भूमि पर निजी बिजली परियोजना स्थापित किए जाने हेतु केवल 119759 पेड़ों का आंकड़ा जारी किया गया है।
मुनि प्रज्ञासागर भी जुड़े देशभर में 1 करोड़ पेड़ लगाने का संकल्प लेकर आंदोलन चला रहे पर्यावरण संरक्षक आचार्य मुनि प्रज्ञासागर जो इन दिनों कोटा में हैं, उन्होंने भी आंदोलन को समर्थन दिया है। महाराज ने शाहाबाद संरक्षित क्षेत्र में पेड़ काटे जाने का विरोध किया है।