महाभारत में विजय का आशीर्वाद विद्वानों के मुताबिक महाभारत काल में पाण्डवों के अज्ञातवास के दौरान माता कुन्ती से भगवान शिव ने स्वर्ण के सामान दिखने वाले पुष्प अर्पित करने को कहा था। माता कुन्ती ने भगवान शिव की इस इच्छा को अपने पुत्र अर्जुन से बताया और फिर अर्जुन ने भगवान कृष्ण के परामर्श से इन्द्र लोक जाकर इसे पृथ्वी पर रोपित किया। इसके पुष्पों को जब माता कुन्ती ने शिव को समर्पित किया तो प्रसन्न होकर भगवान शिव ने महाभारत युद्ध में विजय का आशीर्वाद दिया। आज भी साल में एक बार इस वृक्ष में पुष्प आते हैं। सावन के महीने से पहले इन पुष्पों का आना तय माना जाता है।
यह भी पढ़ें
#OnceUponATime लोधेश्वर महादेवा जहां पांडव की मां कुंती भी करती थीं पूजा, सावन में सैकड़ों मील पैदल चलकर आते हैं कांवरिए
यहां गुजरा था पाण्डवों का अज्ञातवास ये चमत्कारिक देववृक्ष बाराबंकी जनपद के तहसील रामनगर इलाके के बदोसराय क्षेत्र में है। बाराबंकी मुख्यालय से इसकी दूरी लगभग 50 किलोमीटर है। ऐसा माना जाता है कि पाण्डवों ने अपना अज्ञातवास यहीं बराहवन (बदला हुआ नाम बाराबंकी ) के इसी इलाके में गुजारा था। अज्ञातवास के दौरान पाण्डवों की माता कुन्ती को भगवान शिव ने स्वप्न में आकर उनसे स्वर्ण के समान दिखने वाले पुष्पों को समर्पित करने की इच्छा व्यक्त की थी। भगवान शिव की इस इच्छा को उनका आदेश मानकर माता कुन्ती ने अपने पुत्र अर्जुन को ऐसे पुष्प लाने को कहा। माता के आदेश पर अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण से इस बारे में परामर्श लिया। तब भगवान कृष्ण ने अर्जुन को बताया कि ऐसे पुष्प देने वाला वृक्ष समुद्र मंथन से प्राप्त हुआ था, जो अब इन्द्रलोक में ही है। भगवान कृष्ण का आदेश पाकर अर्जुन इन्द्रलोक से पारिजात वृक्ष को पृथ्वी पर लेकर यहां बाराबंकी में स्थापित किया। #OnceUponATime पाण्डवों को मिला था जीत का आशीर्वाद इस वृक्ष के स्वर्ण के समान दिखने वाले पुष्पों को माता कुन्ती ने इसी क्षेत्र में एक शिवलिंग स्थापित कर जो आज कुन्तेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है पर समर्पित किया। भगवान शिव ने तब प्रसन्न होकर पाण्डवों को महाभारत युद्ध में जीत का आशीर्वाद दिया। परिणाम स्वरुप कौरवों की करोड़ों की सेना पर पाण्डवों की जीत हुई। इस पुष्प की विशेषता ये है कि जब ये वृक्ष में होता है तो ये सफेद रंग का दिखता है लेकिन जब ये वृक्ष से टूटता है तो ये स्वर्ण के समान सुनहरा दिखता है। ऐसा माना जाता है कि जो भी इस वृक्ष के पुष्पों को कुंतेश्वर महादेव को समर्पित करता है उसकी सभी मनोकामनाएं की पूरी हो जाती हैं। सर्व मनोकामना पूरी करने वाला ये पुष्प एक बार फिर देववृक्ष पारिजात पर दिखने लगे हैं और भक्तों की भीड़ का आना शुरू हो गया है।
यह भी पढ़ें