दरअसल, इस मामले का खुलासा तब हुआ जब ये मामला बड़े अफसरों तक पहुंचा। जब बाराबंकी की जेल में नींबू घोटाले का खुलासा हुआ को दूसरे जिलों के अधिकारी भी जांच कराने लगे। फिलहाल इस मामले में डीजी जेल आनंद कुमार ने ये जांच डीआईजी संजीव त्रिपाठी को सौंप दिया है। मामले में अधिकारियों का कहना है कि डीआईजी संजीव त्रिपाठी की रिपोर्ट आने के बाद जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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48 KM दूर से निशाना लगाने वाली स्वदेशी Gun तैयार, कौन-कौन खरीद सकता है? क्या बोले जेल अधिकारी नींबू के इल घोटाले पर जेल के अधिकारियों का कहना है कि कोरोना के चलते डॉक्टरों की सलाह पर प्रतिदिन कैदियों के नींबू दिया गया। जब बंदियों को नींबू पिलाय गया, उस समय पर नींबू की कीमत 150 से 200 रुपए में थी। यदि गणित लगाई जाए तो यहां कैदियों को हर दिन आठ हजार से अधिक का तो सिर्फ नींबू पिला दिया गया।
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देशभर में 31 मई को बंद रहेंगी सभी ट्रेने, जानिए क्या है बड़ी वजह तीन महीने में सात लाख के नींबू नींबू की बढ़ती कीमतों की जब हिसाब लगाया गया तो पता चला कि तीन महीनों में सात लाख रुपए से अधिक तो केवल नींबू की खरीदारी हुई है। एक आश्चर्य वाली बात ये है कि जब नींबू का दामों में गिरावट आई तो जेल में भी नींबू का इस्तेमाल कम हो गया। हालांकि अभी जांच रिपोर्ट के बाद मामला साफ होगी।
जेल की कैंटीन में होती है उगाही जिला कारागार में नींबू का घोटाला तो मात्र एक बानगी है। लेकिन यहां की कैंटीन में हर सामान में कीमत से अदिक उगाही होती है। कीमत से दो-तीन गुना अधिक ऊपर दामों में सामान की बिक्री होती है। रिहा हो चुके कैदियों ने जेल के अंदर चल रहे ऐसे खेलों का खुलासा किया। इस पर अधिकारियों का कहना है कि इस पर जेल के कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों तक पूछताछ करेंगे।