Friendship Day पर राजनीतिक हस्तियों की कहानी…
•Aug 05, 2018 / 02:08 pm•
नितिन श्रीवास्तव
यूपी में सियासी कुनबे में नई दोस्ती हुई है अखिलेश और मायावती की। लेकिन इस दोस्ती के भीतर जा कर देखेंगे तो पता चलेगा कि इसमें दोस्ती कम समझौते और शर्तें ज्यादा हैं।
नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव कई बार दोस्त और दुश्मन बने। बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में महागठबंधन बनाकर पीएम मोदी के जादू को फीका करने के बाद ऐसा लग रहा था कि नीतीश और लालू की जोड़ी अटूट रहेगी लेकिन ऐसा नहीं हो सका। महागठबंधन 2 साल भी नहीं चल सका।
सुब्रमण्यम स्वामी एक जमाने में राजीव गांधी के करीबी दोस्त हुआ करते थे। हालांकि इस समय वह कांग्रेस के धुर विरोधियों में से एक हैं।
बात अखिलेश यादव और मायावती की। अखिलेश यादव कभी मायावती को बुआ कहकर हमला करते थे तो कभी मायावती, अखिलेश यादव को बबुआ कहकर। लेकिन पिछले कुछ महीने पर नजर डाले तो साफ पता चलता है कि फिलहाल दोनों दल और इनके नेता साथ हैं और ये बहुत संभव है कि आने वाले चुनाव में ये दोनों एक साथ मिलकर चुनाव लड़े या फिर महागठबंधन में शामिल हो जाएं।
अमर सिंह भी एक जमाने में मुलायम सिंह यादव के दोस्त हुआ करते थे। हालांकि इस समय नेताजी से उनकी दूरियां काफी बढ़ चुकी हैं।
शरद पवार ने जब चाहा कांग्रेस से नाता तोड़ा और जब चाहा उसके सहयोगी बनकर आगे आए।
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