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उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में पर्यावरण के हिसाब से सुगंधित पौधों की खेती करके 30 किसानों की भूमि पर सीमैप ने टिकाऊ सुगंध क्लस्टर विकसित किया है। इस क्लस्टर कृषि में स्थायी प्रथाओं यानी परंपरागत खेती में आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से खेती से निकलने वाली खतरनाक कार्बनडाई ऑक्साइड गैस शून्य हो जाएगी।एक अंग्रेजी वेबसाइट पर प्रकाशित खबर के अनुसार सीमैप ने क्लस्टर में पुदीने की एक उच्च उपज वाली किस्म (सीआईएम-उन्नति) लगाई है, जो पौधों के कीटों और बीमारियों सहित जैविक तनाव के लिए प्रतिरोधी है और सूखा, असमय बारिश, गर्मी, ठंड और अन्य खतरों में भी प्रभावित नहीं होगी। अब यह क्लस्टर पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा। बाराबंकी इसके लिए मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा।
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अर्ली मिंट टेक्नोलॉजी तकनीक के इस्तेमाल से मालामाल होंगे किसानCIMAP के निदेशक प्रबोध के त्रिवेदी ने कहा “संस्थान ने क्लस्टर के विकास में अर्ली मिंट टेक्नोलॉजी नामक एक बेहतर कृषि तकनीक का इस्तेमाल किया है। तकनीक 20-25% सिंचाई के पानी को बचाती है और खरपतवार के संक्रमण को कम करती है। इसके अलावा, यह फसल जल्दी तैयार करने में मदद करता है, CIMAP द्वारा विकसित क्लस्टर का उद्देश्य कृषि में स्थायी प्रथाओं को अपनाकर शून्य-कार्बन उत्सर्जन करना है। पर्यावरण को बचाने और स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने के लिए इसी तरह के क्लस्टर राज्य के अन्य हिस्सों में स्थापित किए जाएंगे।”
उन्होंने कहा। “किसान लगातार बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अधिकतम फसल उपज प्राप्त करने के लिए नई तकनीकों, कृषि मशीनीकरण और रसायनों का उपयोग करते हैं। यह खाद्य कीमतों को कम करने में मददगार हो सकता है, लेकिन इससे मिट्टी की उर्वरता में कमी, ऊपरी मिट्टी की कमी, भूजल का प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और मानव स्वास्थ्य के लिए नए खतरे पैदा हो सकते हैं।