कुंतेश्वर का रहस्य :- कुंतेश्वर महादेव के बारे में कहा जाता है कि सावन माह में कोई भी व्यक्ति पहले पूजा नहीं कर सकता है। माना जाता है कि, यहां शिवलिंग पर अदृश्य शक्ति रात 12 बजे के आसपास सबसे पहले पूजा अर्चना कर जाती हैं। यह रहस्य कुंतेश्वर महादेव मंदिर को और अहम बना देता है।
भीम ने शिवलिंग की स्थापना की :- पौराणिक मान्यता के अनुसार, महाभारत काल में माता कुंती अपने पांच पांडव पुत्रों के संग अज्ञातवाश के दौरान यहां आईं तो उन्होंने महाबली भीम से यहां पर शिवलिंग की स्थापना को कहा था। इस पर भीम ने मां की आज्ञा का पालन करते हुए यहां पर दो शिवलिंग की स्थापना कर दी।
अर्जुन स्वर्ग लाए पारिजात :- बताया जाता है कि, एक समय माता कुंती और दुर्योधन की मां गांधारी पूजा करने इस स्थान पर पहुंची। दोनों ने अपने पुत्रों के विजय की कामना करने लगीं। इस पर आकाशवाणी हुई कि कल सूर्योदय से पहले जो भी प्रथम शिवार्चन स्वर्ण पुष्पों से करेगा वह युद्ध में विजयी होगा। माता कुंती निराश हो गई क्योंकि अज्ञातवास के समय उनके पास कुछ नहीं था। तब माता कुंती ने अर्जुन से स्वर्ग से पारिजात पुष्प लाने को कहा। भगवान श्रीकृष्ण से सलाह लेकर अर्जुन स्वर्ग से पारिजात को लेकर आए और ग्राम बरोलिया में स्थापित किया। पारिजात वृक्ष समुद्र मंथन से प्राप्त हुआ था।
कुंती के नाम पर पड़ा कुंतेश्वर :- पारिजात के स्वर्ण पुष्पों से माता कुंती ने प्रथम शिव अर्चन किया और पांडवों को युद्ध में विजय मिली। तभी से इस मंदिर का नाम माता कुंती के नाम पर कुंतेश्वर महादेव मंदिर पड़ा।
पारिजात की खासियत :- पारिजात वृक्ष के फूल स्वर्ण के समान दिखते हैं। इसकी विशेषता यह है कि, जब फूल वृक्ष पर होते हैं तो ये सफ़ेद रंग के होते हैं परंतु जब ये शाख से अलग होते हैं तो ये स्वर्ण के समान सुनहरे हो जाते हैं| कुंतेश्वर महादेव के मान्यता अनुसार, पारिजात के पुष्प को शिवलिंग पर चढ़ाने पर सारी मनोकामनाएंपूर्ण होती हैं।