दोपहर बाद पहुंची टीम
इधर, सूचना पर दोपहर बाद प्रशासन से नायब तहसीलदार विजय कोठारी, गिरदावर हरीश सोनी ओर पंचायत समिति से सहायक विकास अधिकारी वालसिंह राणा, पंचायत प्रसार अधिकारी सुनील शाह आदि मौके पर पहुंचे और रिसाव रोकने के लिए कोठी के अंदर ओर समीप जेसीबी से मिट्टी डलवाना शुरू किया। उसके बाद धीरे धीरे पानी का रिसाव कम हुआ। पानी का रिसाव रोकने के लिए खाली कट्टे ओर सीमेंट भी मंगवाई गई। कोठी में जेसीबी से मिट्टी डालने से बेरिंग पूरी तरह टूट गए। उपसरपंच चमना ताजहिंग मईड़ा ने बताया कि कोठी खराब होने से पानी छोडऩे के लिए बेरिंग नही खोलते थे। कोठी के समीप दीवार के सहारे सहारे रिसाव से लगातार पानी निकलने से उसी पानी का सिंचाई में उपयोग कर लेते थे। दीवार के समीप मिट्टी धंस जाने से पूर्व में हमने तीन ट्रॉली मिट्टी डलवाई थी। दल्लू, हुरतींग मईड़ा, पारसिंग कड़वा गुर्जर, प्रभुलाल समसु बारिया, पक्कू रामचन्द मईड़ा आदि ग्रामीणों ने बताया कि तालाब में रिसाव की बात कई बार पंचायत को अवगत करवाई, लेकिन किसी ने ध्यान नही दिया और रिसाव बढ़ गया।
इधर, सूचना पर दोपहर बाद प्रशासन से नायब तहसीलदार विजय कोठारी, गिरदावर हरीश सोनी ओर पंचायत समिति से सहायक विकास अधिकारी वालसिंह राणा, पंचायत प्रसार अधिकारी सुनील शाह आदि मौके पर पहुंचे और रिसाव रोकने के लिए कोठी के अंदर ओर समीप जेसीबी से मिट्टी डलवाना शुरू किया। उसके बाद धीरे धीरे पानी का रिसाव कम हुआ। पानी का रिसाव रोकने के लिए खाली कट्टे ओर सीमेंट भी मंगवाई गई। कोठी में जेसीबी से मिट्टी डालने से बेरिंग पूरी तरह टूट गए। उपसरपंच चमना ताजहिंग मईड़ा ने बताया कि कोठी खराब होने से पानी छोडऩे के लिए बेरिंग नही खोलते थे। कोठी के समीप दीवार के सहारे सहारे रिसाव से लगातार पानी निकलने से उसी पानी का सिंचाई में उपयोग कर लेते थे। दीवार के समीप मिट्टी धंस जाने से पूर्व में हमने तीन ट्रॉली मिट्टी डलवाई थी। दल्लू, हुरतींग मईड़ा, पारसिंग कड़वा गुर्जर, प्रभुलाल समसु बारिया, पक्कू रामचन्द मईड़ा आदि ग्रामीणों ने बताया कि तालाब में रिसाव की बात कई बार पंचायत को अवगत करवाई, लेकिन किसी ने ध्यान नही दिया और रिसाव बढ़ गया।
9 मीटर है भराव क्षमता कई दशकों पूर्व बने घोड़ादारा तालाब की भराव क्षमता 9 मीटर है। बारिश में यह तालाब लबालब हो जाता है। जिससे आसपास के हजारों हेक्टेयर भूमि में रबी में सिंचाई के साथ गर्मियों में मवेशियों के लिए पीने के पानी की भी व्यवस्था हो जाती है। करीब तीन वर्ष पूर्व लाखों रुपए खर्च कर तालाब के वेस्टवेयर ओर पाल की रिपेरिंग की गई, लेकिन कोठी को ठीक नही किया गया। ग्रामीणो के अनुसार रबी की फ सल की सिंचाई के पानी का उपयोग करने से तालाब में पानी कम हो गया था। यदि बारिश के दिनों में यह रिसाव होता तो हालत भयावह हो सकते थे। पानी रिसाव से कुछ ही दूरी पर बने एनिकट पर चादर चल गई।