सांसद राजकुमार रोत ने सरकार से मांग की कि मां बाड़ी केंद्रों पर सुविधाएं तुरंत शुरू की जाएं। उन्होंने कहा कि बच्चों के भविष्य को लेकर कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा। यदि जल्द समाधान नहीं हुआ, तो वागड़ क्षेत्र में बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
सुविधाओं की कमी से बच्चों का पलायन
बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत ने एक्स पर एक वीडियो शेयर करते हुए कहा कि मां बाड़ी केंद्रों पर बच्चों को दी जाने वाली अल्पाहार, पाठ्य सामग्री, जूते, स्वेटर, और अन्य सुविधाएं पिछले 3-4 महीनों से बंद हैं। इसके चलते बच्चे केंद्रों में टिक नहीं पा रहे हैं और नामांकन घट रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षाकर्मी बच्चों को केंद्र में बुलाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सुविधाओं के अभाव में बच्चे पलायन कर रहे हैं। सांसद राजकुमार रोत ने सरकार और टीडी विभाग को आड़े हाथों लेते हुए लिखा कि TAD विभाग द्वारा संचालित मां बाड़ी केंद्रों पर पिछले 3-4 माह से खाद्य सामग्री, स्टेशनरी एवं अन्य सुविधाएं बच्चों को नहीं मिल रही हैं। इससे हजारों आदिवासी बच्चों का भविष्य खतरे में है। अगर यह बंद नहीं हुआ तो बड़ा आंदोलन होगा।
अधिकारियों पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप
उन्होंने कहा कि अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण मां बाड़ी केंद्रों की स्थिति खराब हुई है। उन्होंने दावा किया कि विभागीय स्तर पर भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है, जिससे केंद्रों पर सामग्री और सुविधाओं का वितरण समय पर नहीं हो रहा। सांसद ने चेतावनी दी कि अगर जल्द ही सुविधाएं बहाल नहीं की गईं, तो आदिवासी बच्चों के साथ हो रहे अन्याय को रोकने के लिए उनकी पार्टी बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होगी।
मां बाड़ी केंद्रों का क्या है उद्देश्य ?
बताते चलें कि मां बाड़ी केंद्रों का उद्देश्य 6 से 12 साल के आदिवासी बच्चों को उनके गांवों और ढाणियों में ही प्राथमिक शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना है। इन केंद्रों पर अधिकतम 30 बच्चों का नामांकन किया जाता है। हालांकि, सांसद रोत ने आरोप लगाया कि भोजन और अन्य सुविधाएं न मिलने के कारण केंद्रों का उद्देश्य विफल हो रहा है। अभिभावकों और बच्चों में असंतोष बढ़ रहा है।