बता दें कि आदिवासी समाज के दिग्गज नेता महेन्द्रजीत सिंह मालवीया ने लोकसभा चुनाव से ऐन वक्त पहले पाला बदला था। मालवीया ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर बीजेपी का दामन थामा था। इतना ही नहीं बांसवाड़ा की बागीदौरा सीट से विधायक रहे मालवीया ने पद से भी इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद बीजेपी ने मालवीया को बांसवाड़ा
लोकसभा सीट से मैदान में उतारा। लेकिन, वो हार गए। ऐसे में मालवीया को सांसद बनने के चक्कर में सांसदी से भी हाथ धोना पड़ा।
27 राउंड में एक बार भी आगे नहीं निकले मालवीया
विधानसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन के बाद अब बांसवाड़ा-डूंगरपुर के वोटर्स ने राजकुमार रोत को जीत का ताज पहनाया। लोकसभा चुनाव में राजकुमार रोत को कुल 8 लाख 20 हजार 831 मिले। वहीं, भाजपा प्रत्याशी मालवीया 5 लाख 73 हजार 777 वोटों पर ही सिमट गए। चौंकाने वाली बात ये रही कि 27 राउंड की गिनती में भाजपा प्रत्याशी मालवीया एक बार भी बीएपी प्रत्याशी को पछाड़ नहीं सके। बल्कि गिनती बढ़ने के साथ ही जीत का अंतर बढ़ता गया।