अधिक लक्ष्य पर निकालेंगे लॉटरी
सब्सिडी यूनिट लगाने के लिए किसान ई-मित्र केन्द्र पर या राजस्थान किसान पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करने पर पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर किसान को सब्सिडी दी जाएगी। लक्ष्य से अधिक आवेदन होने की स्थिति में लॉटरी निकाली जाएगी। इसके लिए किसानों के पास कम से कम 6 महीने पुरानी जमाबंदी होना जरूरी है। यह भी पढ़ें – सीएम भजनलाल की विदेश यात्रा पर सचिन पायलट ने दिया क्या जवाब, जानें
2- वर्मी कपोस्ट, केंचुओं के जैविक पदार्थों को खाकर और फिर उनके पाचन तंत्र से गुज़रने के बाद बनने वाला मल होता है
3- इसे वर्मीकल्चर या केंचुआ पालन भी कहा जाता है
4- ये डेढ़ से दो महीने में तैयार हो जाता है
5- यह हल्का काला, दानेदार होता है और दिखने में चाय पत्ती जैसा होता है
6- इसमें मुख्य पोषक तत्वों के साथ दूसरे सूक्ष्म पोषक तत्व, हॉर्मोन, और एंजाइम भी होते हैं
7- इसका इस्तेमाल बागवानी और जैविक खेती में किया जाता है।
8- इससे मिट्टी की कंडीशनिंग होती है।
9- इससे बदबू नहीं आती और मच्छर-मक्खियां नहीं बढ़तीं।
10- वातावरण प्रदूषित नहीं होता।
यह है वर्मी कम्पोस्ट
1- पक्के शेड की ऊंचाई बीच में कम से कम 10 फीट और किनारे से 8 फीट होनी चाहिए। एक इकाई के लिए कम से कम 60 किलोग्राम केंचुए, रजिस्टर्ड गैर सरकारी संस्थान, गौशाला, कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि अनुसंधान केंद्र, कृषि कॉलेज आदि से किसान खरीद सकते है। प्रत्येक बेड में 400-400 ग्राम ट्राइकोडर्मा और एक किलो नीम की खली उपयोग करना होगा।2- वर्मी कपोस्ट, केंचुओं के जैविक पदार्थों को खाकर और फिर उनके पाचन तंत्र से गुज़रने के बाद बनने वाला मल होता है
3- इसे वर्मीकल्चर या केंचुआ पालन भी कहा जाता है
4- ये डेढ़ से दो महीने में तैयार हो जाता है
5- यह हल्का काला, दानेदार होता है और दिखने में चाय पत्ती जैसा होता है
6- इसमें मुख्य पोषक तत्वों के साथ दूसरे सूक्ष्म पोषक तत्व, हॉर्मोन, और एंजाइम भी होते हैं
7- इसका इस्तेमाल बागवानी और जैविक खेती में किया जाता है।
8- इससे मिट्टी की कंडीशनिंग होती है।
9- इससे बदबू नहीं आती और मच्छर-मक्खियां नहीं बढ़तीं।
10- वातावरण प्रदूषित नहीं होता।