शिक्षा विभाग की ओर से गत दिनों कराए गए आरटीई के तहत पढ़ रहे बच्चों का भौतिक सत्यापन कराया गया। इसमें नर्सरी से यूकेजी के स्टूडेंट्स का भी भौतिक सत्यापन कर अधिकारियों ने मुहर लगाई। पर, पुनर्भरण नहीं हो रहा है। ऐसे स्टूडेंट्स की संख्या किसी स्कूल में 10 से 15 है तो कहीं यह संख्या 30 से अधिक है।
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स्कूल में आरटीई के 25 प्रतिशत सीटों के तहत देखें तो जिले के बड़े स्कूलों को लाखों रुपए का नुकसान है। तीनों क्लासों में करीब 30 से अधिक बच्चे आरटीई के तहत पढ़ रहे हैं। सरकार की ओर से अधिकतम यूनिट कॉस्ट 13535 रुपए तय है। इसके अनुसार भी देखें को करीब 4 लाख रुपए होते हैं।
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निजी स्कूलों पर निरीक्षण व अन्य तरीके से पाबंदियां लगाई जा रही हैं। आरटीई का पुनर्भरण कभी भी समय पर नहीं किया जाता। अब भी कई स्कूलों का चूक व अन्य कारण से पिछले सालों का पुनर्भरण बकाया चल रहा है। वहीं इस बार नर्सरी से यूकेजी का पुनर्भरण नहीं करने का फरमान जारी किया गया है। इसके अलावा कक्षा 9 व कक्षा 11 के बच्चों के पुनर्भरण के मामले में भी उलझन बनी हुई है। संगठन इस निर्णय से नाखुश है। हम कलक्टर को ज्ञापन दे चुके हैँ। अब प्रदेश स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। सरकार पुनर्भरण करे या नहीं तो हम पेरेंट्स से फीस लेंगे।
तरुण त्रिवेदी, अध्यक्ष गैर सरकारी स्कूल संचालक संगठन