दरअसल सरेड़ी बड़ी के निवासी सरकारी टीचर हीरेन के घर यह घटना घटी है। वे अपने परिवार के साथ कल रात अपने घर में थे। दो बेटियों के पिता हीरेन के घर 18 साल के बाद बेटा जन्मा था, जिसका नाम मानविक रखा गया था। वह पूरे परिवार का लाड़ला था। कल रात वह एक प्लास्टिक की डिबिया से खेल रहा था। अचानक उसकी सांस भरने लगी। उसकी हालत देखकर परिवार दहल गया। तुरंत ही सरेड़ी बड़ी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बच्चे को ले जाया गया। लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
बाद में पता चला कि अस्पताल में दो डॉक्टर और पूरा स्टाफ रहना चाहिए था, लेकिन वहां पर एक नर्स और चपरासी ही था। बच्चे की जान बचाने के लिए उसे बांसवाड़ा जिला अस्पताल ले जाया गया लेकिन रास्ते में ही मासूम ने दम तोड़ दिया। बाद में जब परिवार के लोगों को पता चला कि उन्होनें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मेंं भीड़ लगा दी और विरोध किया। बाद में अधिकारी वहां पहुंचने और हालात काबू में किए। इस घटना के बाद परिवार ही नहीं पूरे समाज और कस्बे में शोक छाया हुआ है।