‘बेटी का जन्म मातम नहीं, महोत्सव है, माता-पिता अपनी बेटी को मजबूत बनाएं, मजबूर नहीं’ – मुनि प्रतीकसागर
Jain Muni Pravachan : लाड़ली बेटी महोत्सव में मांगलिक भवन बाहुबली कॉलोनी में मुनि ने दिए प्रवचन
‘बेटी का जन्म मातम नहीं, महोत्सव है, माता-पिता अपनी बेटी को मजबूत बनाएं, मजबूर नहीं’ – मुनि प्रतीकसागर
बांसवाड़ा. बेटी का जन्म होना मातम नहीं, महोत्सव है। क्योंकि बेटी नहीं, बेटी के रूप में लक्ष्मी का आपके घर जन्म हुआ है। हर घर में एक बेटी जरूर होना चाहिए। जिसके बेटी नहीं होती, उसके दिल नहीं होता। मुनि प्रतीकसागर ने राष्ट्रीय बालिका दिवस पर आयोजित लाडली बेटी महोत्सव पर दिगम्बर जैन मांगलिक भवन बाहुबली कॉलोनी में यह बात कही। उन्होंने कहा कि माता-पिता अपनी बेटी को मजबूत बनाएं, मजबूर नहीं। देश में दुव्र्यवहार करने वालों की कमी नहीं है। आत्मा रक्षा के लिए कराटे का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। जिससे स्वयं की रक्षा कर सके। बेटी दो घरों को संभालती है। पति और पिता के। बेटा अगर वंश है तो बेटी अंश है। बेटा वारिस है तो बेटी पारस है। बेटा मान है तो बेटी स्वाभिमान है। बेटा-बेटी में कोई फर्क नहीं करना चाहिए। मुनि ने कहा कभी किसी को अनाथ मत समझो। जगन्नाथ और पारसनाथ के देश में कोई अनाथ नहीं है। सब सनत है। क्योंकि नाथों के नाथ साथ है। कार्यक्रम में देश भक्ति गीत पर नृत्य आश्रय सेवा संस्थान की बालिकाएं रिया भावसार, रविना चापोट, रेखा, करीना, काजल, रीना, फूलवन्ती, बिन्दु, अंजना आदि ने प्रस्तुति दी। मां पर सुन्दर भजन की प्रस्तुति अपना घर जनकला सहित्य मंच के बालक श्रीपाल, किशन, सूरज, रामास्वामी सोसायटी के बालक नीलेश, प्रवीण, सचिन ने दी। इस अवसर पर मुनि के पादप्रक्षालन नरोत्तम पंण्डया, वर्षा मेहता, नारायण, महिपाल शाह ने किया। मुनि ने सभी बालक-बालिकाओं को नोटबुक, पेन प्रदान किए। मंच संचालन महेन्द्र बोहरा ने किया ।
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