बता दें कि विधानसभा चुनाव के अन्तर्गत नाम वापसी के अंतिम दिन बांसवाड़ा जिले में राजनीतिक दृष्टि से चौंकाने वाली चीजें सामने आईं थीं। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की कोशिशों के उपरांत भी बांसवाड़ा विधानसभा सीट से निर्दलीय नामांकन दाखिल करने वाले राज्यमंत्री धनसिंह रावत ने अपना नामांकन वापस नहीं लिया और पार्टी से ही त्याग पत्र देकर सभी को हतप्रभ कर दिया था। फिर बागी के रूप में चुनाव मैदान में डट गए थे। इस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए पार्टी प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी ने अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लडऩे पर रावत को छह साल के लिए निष्कासित भी कर दिया था। उनके साथ सागवाड़ा विधायक अनिता कटारा को भी निष्कासित किया गय था। अब रावत को अपनी गलती पर पछतावा हो रहा है।