बांसवाड़ा

राजस्थान के इस गांव में कमाल की व्यवस्था, चढ़ावे की राशि गांव में समान रूप से है बंटती, जानें क्यों

Rajasthan News : राजस्थान के इस गांव में कमाल की व्यवस्था। मंदिर बन गया बैंक। मंदिर में आई चढ़ावे की राशि गांव के लोगों की निजी जिन्दगी में तरक्की का सोपान बन रही है। पूरा मामला जानेंगे तो दंग रह जाएंगे।

बांसवाड़ाOct 26, 2024 / 02:41 pm

Sanjay Kumar Srivastava

Rajasthan News : राजस्थान में एक गांव ऐसा भी है, जहां मंदिर में आई भेंट राशि गांव के लोगों की निजी जिन्दगी में तरक्की का सोपान बन रही है। चढ़ावे की राशि गांव के लोगों में समान रूप से बंटती है और दूसरे साल ब्याज समेत फिर जमा हो जाती है। गांव के लोग ही नहीं, दूसरे गांवों में ब्याही जा चुकी बहन-बेटियों को भी आर्थिक मदद दी जाती है।

वाड़ी विसर्जन के दिन खुलती है दान पेटी

यह गांव है बांसवाड़ा जिले की गणाऊ ग्राम पंचायत का निचली नाल। यहां करीब 70 साल पुराना पितृदेव मंदिर है। समाजसेवी एवं शिक्षक मालसिंह निनामा बताते हैं कि यहां वर्षभर जो चढ़ावा आता है, उसकी गणना के लिए साल में एक बार दानपेटी खुलती है। इसके लिए नवरात्र से पूर्व वाड़ी विसर्जन का दिन तय है। भेंट राशि किसी बैंक या संस्था में न जमा करवाकर सभी सदस्य परिवारों को बांट दी जाती है। इसका बाकायदा हिसाब लिखा जाता है। सालाना करीब 10 लाख रुपए मदद के तौर पर सभी परिवारों में बंटते हैं।
यह भी पढ़ें

Diwali News : दीपावली पर रात्रि 10 बजे से सवेरे 6 बजे तक पटाखों पर रहेगा प्रतिबंध, आदेश जारी

ससुराल जा चुकी बहनें भी हैं सदस्य

समिति में हर एक परिवार का सदस्य है। आज 262 सदस्यों में वे बहनें भी शामिल हैं, जिनकी शादी दूसरे गांव में हुई। पूरी राशि गांव की बनाई समिति के सदस्यों में समान रूप से बांटी जाती है। हर साल न्यूनतम 20-20 हजार तक प्रति सदस्य बांटे जाते हैं। जरुरतमंदों के मुताबिक राशि कम या ज्यादा भी होती है। अगले साल पेटी में जमा राशि, सदस्यों से ब्याज सहित आया पैसा मिलाकर फिर उन्हीं सदस्यों में बांट दिया जाता है। यह क्रम ऐसे ही चलता-रहता है। पूर्व में ब्याज दर दो फीसदी थी, जो फिर घटकर डेढ़ और अब 1.25 प्रतिशत कर दी।
यह भी पढ़ें

Schools Holiday : प्रदेश के सरकारी स्कूलों में आज से छुट्टी शुरू, जानें कब खुलेंगे

20 साल पूर्व यूं हुई शुरुआत

20 वर्ष पहले तक नकद चढ़ावे का कोई हिसाब-किताब नहीं होता था। कुछ बुद्धिजीवियों ने दानपेटी रख दी। उसमें जमा भेंटराशि के पैसों का इस्तेमाल आर्थिक मदद के तौर पर करने की व्यवस्था आम सहमति से लागू की गई। गांव का हर व्यक्ति राशि लेने के बाद बिना किसी तकाजे के खुद ही तय दिन आकर जमा करवा जाता है।
यह भी पढ़ें

मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना पर नया अपडेट, इस डेट तक कराएं रजिस्ट्रेशन, नहीं तो नहीं होगा फ्री इलाज

सामूहिक भोज में आती हैं बहनें, भेंट में मिलती है साड़ी

गांव में सामाजिक ताना-बाना ऐसा है कि मंदिर पर वार्षिक कार्यक्रम के लिए सदस्य 300-300 रुपए अलग से देते हैं। दिनभर अनुष्ठान व राशि वितरण के बाद सामूहिक महाभोज होता है। इसमें उन बहनों को भी एक-एक साड़ी भेंट में मिलती हैं, जिनकी शादी हो चुकी। बहनें खुद भी समिति की सदस्य होती हैं।
यह भी पढ़ें

Video : गहलोत-पायलट को भेजा महाराष्ट्र, राजस्थान उपचुनाव से किया दूर! क्यों

ये हैं समिति के प्रमुख सदस्य

पूर्व सरपंच धीरजमल डामोर, लेम्पस व्यवस्थापक सुखलाल डामोर, अध्यापक मालसिंह निनामा एवं मोहनलाल निनामा, पुजारी मकनलाल, लक्ष्मणलाल डामोर व रकमा भगत।

यह भी पढ़ें

Good News : सहकारी बैंकों के लिए एकमुश्‍त समाधान योजना-2024 लागू, जानें किसे मिलेगा इसका लाभ

Hindi News / Banswara / राजस्थान के इस गांव में कमाल की व्यवस्था, चढ़ावे की राशि गांव में समान रूप से है बंटती, जानें क्यों

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.