इस बात की जानकारी जब जिला कलेक्टर को हुई तो उन्होंने एक कमेटी का गठन किया। कमेटी इस मुद्दे की जांच कर रिपोर्ट कलेक्टर को भेज दी गई। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि वास्तव में गेहूं की गुणवत्ता काफी कमजोर है। इसके बाद अब कलेक्टर कदम उठाया। उन्होंने कमजोर गुणवत्ता का गेहूं, क्रय केंद्रों पर खरीदा जा सके इसके लिए खाद्य विभाग को पत्र लिखा है।
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कलेक्टर ने पत्र में कहा कि समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए आने वाले गेहूं को, गुणवत्ता मापदंडों में छूट दिलवाने का प्रयास करें। उल्लेख किया गया है कि जिला रसद अधिकारी के निर्देशन में एक टीम का गठन किया गया था, इस टीम ने क्रय केंद्र पर जाकर गेहूं की जांच की तो टीम को पता चला कि गेहूं कमजोर गुणवत्ता का है।
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