बैंगलोर

आप महाराजा नहीं, जनसेवक हैं, डेंगू के मामले रोकें, सिद्धरामय्या ने DC और CEO पर साधा निशाना

विधान सौधा के कॉन्फ्रेंस हॉल में डीसी और सीईओ की बैठक को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने कहा, यदि उपायुक्तों को लगता है कि वे महाराजा हैं, तो विकास और प्रगति संभव नहीं है। राजनेता और नौकरशाह दोनों ही जनसेवक हैं और इस बात को ध्यान में रखते हुए उन्हें लोगों की सेवा करनी चाहिए।

बैंगलोरJul 08, 2024 / 09:19 pm

Sanjay Kumar Kareer

बेंगलूरु. मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने सोमवार को राज्य के जिला उपायुक्तों (डीसी) और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) पर निशाना साधते हुए याद दिलाया कि वे महाराजा नहीं, बल्कि जनसेवक हैं और चेतावनी दी कि यदि डेंगू के मामलों को फैलने से नहीं रोका गया, तो उच्च अधिकारी भी लापरवाही और उदासीनता के लिए जिम्मेदार ठहराए जाएंगे।
यहां विधान सौधा के कॉन्फ्रेंस हॉल में डीसी और सीईओ की बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, यदि उपायुक्तों को लगता है कि वे महाराजा हैं, तो विकास और प्रगति संभव नहीं है। राजनेता और नौकरशाह दोनों ही जनसेवक हैं और इस बात को ध्यान में रखते हुए उन्हें लोगों की सेवा करनी चाहिए।

डेंगू रोकने युद्ध स्तर पर काम करें

उन्होंने कहा कि डेंगू के मामले रोकने के लिए युद्ध स्तर पर काम किया जाना चाहिए और डीसी और जिला स्वास्थ्य अधिकारियों (डीएचओ) को तालुक स्तर के अधिकारियों के साथ समन्वय में तेजी से काम करना चाहिए। सिद्धरामय्या ने कहा कि अब तक लापरवाही और उदासीनता के लिए निचले स्तर के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है और अब से वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने जोर देकर कहा, दूषित पानी पीने से कई मौतें हुई हैं। अगर ये मामले फिर से सामने आए तो वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि कर्नाटक सुशासन के मामले में एक आदर्श राज्य है और इस सम्मान को बनाए रखने की जिम्मेदारी सभी की है।
सिद्धरामय्या ने कहा कि जन शिकायत बैठकों के दौरान 15,000 से 20,000 याचिकाएँ मिल रही हैं। अगर अधिकारियों ने उन पर गौर किया होता, तो मुझे इतनी बड़ी संख्या में याचिकाएँ नहीं मिलतीं। जन शिकायत बैठकों में शामिल होने वाले डीसी और सीईओ केवल शिकायत प्रतियों का समर्थन कर रहे हैं। क्या आप बस यही करने आए हैं? हालांकि, सिद्धरामय्या ने कहा, मैंने अधिकारियों की आलोचना करने के लिए यह बैठक नहीं बुलाई है। यह एक समीक्षा बैठक है।

बाढ़ और भूस्खलन के खतरे से निपटने को तैयार रहें

बेंगलूरु. मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने कहा कि राज्य में 2,225 गांव और 2,038,334 लोग हर बार बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित होने का अनुमान है। उन्होंने अधिकारियों को संकटग्रस्त गांवों की पहचान करने और स्थायी राहत उपाय लागू करने का निर्देश दिया। सिद्धरामय्या ने एसडीआरएफ मानदंडों के अनुसार उन लोगों के लिए तत्काल मुआवजा देने का निर्देश दिया जिनके घर और फसल इस साल बारिश के कारण क्षतिग्रस्त हो गए थे।
मुख्यमंत्री ने जिलों में लंबित पेंशन आवेदनों की सूची पर ध्यान दिया और संबंधित उपायुक्तों (डीसी) को समय सीमा के भीतर उनका निपटान करने का निर्देश दिया। उन्होंने सवाल किया कि समय सीमा से परे आवेदन क्यों हैं और संबंधित डीसी को उनका समाधान करने का निर्देश दिया। पेंशन की निपटान अवधि, जो वर्तमान में 45 दिन है, उसे घटाकर 30 दिन कर दिया जाएगा।
किसानों की आत्महत्या के मामलों में मुख्यमंत्री ने डीसी को उदारता से काम करने और मामूली तकनीकी कारणों से आवेदन खारिज किए बिना परिवारों की मदद करते हुए मुआवजा देने का निर्देश दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि निजी भवनों में चल रहे उप-पंजीयक कार्यालयों के लिए हर महीने करोड़ों रुपये का किराया दिया जाता है।

अपात्र बीपीएल कार्ड रद्द किए जाएं

मुख्यमंत्री ने जोर दिया कि लोगों को बेवजह इधर-उधर भटकना नहीं चाहिए। राज्य की 80 फीसदी आबादी के पास बीपीएल कार्ड हैं, जबकि तमिलनाडु में यह आंकड़ा 40 फीसदी है। नीति आयोग के अनुसार, राज्य में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों का प्रतिशत कम होना चाहिए। अपात्र बीपीएल कार्ड रद्द किए जाने चाहिए और पात्र लोगों को बीपीएल कार्ड दिए जाने चाहिए।

बेहतर सूखा प्रबंधन का दावा

मुख्यमंत्री ने इस साल बेहतर सूखा प्रबंधन पर प्रकाश डाला। पेयजल से संबंधित समस्याग्रस्त गांवों की समय रहते पहचान की गई और वैकल्पिक व्यवस्था की गई। सूखा प्रबंधन पर पारदर्शी तरीके से 85 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जिसमें डीसी के पीडी खाते में 783 करोड़ रुपये उपलब्ध हैं। राज्य में इस मानसून सीजन में सात फीसदी अधिक बारिश हुई है और 1,247 ग्राम पंचायतों द्वारा 225 जलभराव वाले गांवों की पहचान की गई है। प्रत्येक ग्राम पंचायत में टास्क फोर्स का गठन किया गया, नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए तथा मॉक ड्रिल आयोजित की गई।

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