पिछले कुछ महीनों से यह भी स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि सरकार में निर्णय कौन कर रहा है। सरकार का बार-बार अपने फैसलों से यू-टर्न करना मुख्यमंत्री येडियूरप्पा की सत्ता पर पकड़ को लेकर बड़े संकेत दे रहे हैं। सूत्रों के मुताबक येडियूरप्पा के खिलाफ अभियान का नेतृत्व उत्तर कर्नाटक के वरिष्ठ नेता और आठ बार के विधायक उमेश कत्ती के साथ बसवनगौड़ा पाटिल यतनाल, मुर्गेश निराणी और राजू गौड़ा कर रहे हैं। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि ये असंतुष्ट नेता किस हद तक जा सकते हैं या कितना बड़ा निर्णय कर सकते हैं। लेकिन, पिछले 18 महीने दौरान ऐसे एक दर्जन से अधिक प्रयास हो चुके हैं जिससे यह साफ है कि पार्टी के भीतर अंदरुनी घमासान तीव्र है।
येडियूरप्पा की बढ़ती उम्र को लेकर उनके इस्तीफे की मांग वाला एक गुमनाम पत्र कुछ ही दिन पहले सुर्खियों में रहा। भाजपा के अंदरुनी सूत्रों के मुताबिक पार्टी हाइकमान दो बातों को लेकर असंतुष्टों की बात सुनने को लेकर पशोपेश में है। एक, येडियूरप्पा द्वारा कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए किया जा रहा काम और दूसरा, लिंगायत वोट बैंक पर उनका कमांड। दरअसल, राज्य और राजनीति जिस मोड़ पर है वहां भाजपा के लिए येडियूरप्पा फिलहाल महत्वहीन नहीं हो सकते। इसके बावजूद पार्टी हाइकमान येडियूरप्पा के बाद प्रदेश में नए नेतृत्व का विकल्प सक्रियता से तलाश रहा है।