बैंगलोर

भगवान महावीर ने जो कहा वह उनकी साक्षात अनुभूति

आचार्य महाश्रमण ने प्रवचन में कहा कि व्यक्ति को जो मन में संकल्प विकल्प रहते हैं उन्हें छोड़ देना चाहिए और अपनी आत्मा में रत रहना चाहिए।

बैंगलोरOct 24, 2019 / 07:38 pm

Santosh kumar Pandey

भगवान महावीर ने जो कहा वह उनकी साक्षात अनुभूति

बेंगलूरु. आचार्य महाश्रमण ने प्रवचन में कहा कि व्यक्ति को नैष्कम्र्य कर्म के प्रति जो मन में संकल्प विकल्प रहते हैं उन्हें छोड़ देना चाहिए और अपनी आत्मा में रत रहना चाहिए। अध्यात्म की साधना में रत रहने से न केवल इन्द्रियों के प्रति आसक्ति कम होती है बल्कि जीवन के परम लक्ष्य मोक्ष का मार्ग भी प्रस्थित होता है। आचार्य ने कहा कि भगवान महावीर ने जो कहा था यह उनकी साक्षात अनुभूति थी। इसमें किसी को संदेह नहीं करना चाहिए।
आचार्य ने सभी को आत्मा में रत रहकर स्वयं का एवं औरों का कल्याण करने की प्रेरणा दी। प्रवचन में एक कथानक के माध्यम से आचार्य ने कहा कि व्यक्ति को किसी दूसरे का अधिपति न बनकर स्वयं का अधिपति बनना चाहिए। व्यक्ति अगर संयम के माध्यम से इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर ले तो वह परम आनंद की ओर अग्रसर हो जाता है।
प्रवचन में नीता गादिया, शांतिलाल पोरवाल, देवराज रायसोनी, बाबूलाल बाफणा ने विचार रखे।
गौरतलब है कि आचार्य महाश्रमण के अब तक के चातुर्मासों में सर्वाधिक मासखमण बेंगलुरु चातुर्मास के दौरान हुए। संचालन मुनि सुधाकर ने किया।

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