-कर्ज में डूबने के डर के बीच मुआवजे को लेकर अनिश्चितता इस साल सामान्य से कहीं ज्यादा भारी बारिश rain नेे कोडुगू जिले के कॉफी coffee उत्पादकों की परेशानी बढ़ा दी है। इन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। कॉफी के अलावा, काली मिर्च, जिसे अक्सर वैकल्पिक फसल के रूप में कॉफी के साथ उगाया जाता है, को भी काफी नुकसान हो रहा है। किसानों को डर है कि लगातार बारिश से उनकी फसल और भी खराब हो जाएगी। फसल के नुकसान के कारण वे कर्ज में डूब सकते हैं। मुआवजे को लेकर भी अनिश्चितता है। नियम आड़े आ सकते हैं।
अरेबिका और रोबस्टा दोनों किस्में संकट में मई के मध्य में भारी बारिश के रूप में शुरू हुआ यह सिलसिला सितंबर के आखिरी सप्ताह तक जारी रहा, जिसमें हर दो से तीन दिन में बारिश हो रही है। मिट्टी में नमी का स्तर बढ़ गया है, जिससे कॉफी के पौधों को नुकसान पहुंच रहा है। अरेबिका और रोबस्टा Arabica and Robusta दोनों किस्में संकट में हैं। फल सड़ रहे हैं और फसल गिर रही है।
स्थिति चिंताजनक आम तौर पर, कोडुगू में बारिश सितंबर के अंत तक बंद हो जाती है। हालांकि, नवंबर के आधे महीने तक भी बारिश कम नहीं हुई है, जिससे किसानों के लिए चिंताजनक स्थिति पैदा हो गई है। कॉफी उत्पादकों का कहना है कि जैसे ही अरेबिका कॉफी पकने लगती है, अत्यधिक बारिश के कारण फल सडऩे लगते हैं। कच्चे फल भी गलकर जमीन पर गिर जाते हैं। रोबस्टा कॉफी के लिए भी स्थिति उतनी ही गंभीर है, जो पकने के चरण में पहुंचने के बावजूद भारी बारिश के कारण नष्ट हो रही है।
मुआवजे को लेकर असमंजस इस नुकसान के बीच किसान मुआवजे को लेकर भी चिंतित हैंं। अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई है। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) के नियमों के अनुसार, कॉफी बोर्ड केवल तभी मुआवजा दे सकता है, जब कम से कम 60 फीसदी फसल बर्बाद हो गई हो। अभी तक केवल 45 फीसदी फसल ही प्रभावित हुई है, जिससे किसानों को इस बात की अनिश्चितता है कि उन्हें कोई राहत मिलेगी या नहीं। कॉफी बोर्ड ने नुकसान का निरीक्षण किया है, लेकिन मुआवजे पर फैसला अभी भी लंबित है।
कटाई करें या इंतजार अरेबिका कॉफी के पकने के साथ ही किसान दुविधा में फंस गए हैं। उन्हें डर है कि अगर वे फसल काटेंगे तो बादल छाए रहने और छिटपुट बारिश के कारण फल ठीक से सूख नहीं पाएंगे। लेकिन, अगर वे कटाई में देरी करते हैं तो फसल और भी खराब हो सकती है। अप्रत्याशित मौसम की स्थिति के कारण किसान मुश्किल में फंस गए हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वे कटाई करें या इंतजार करें।