अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया है कि प्रतिस्पर्धा नियामक की ओर से सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के बाद सीसीआई जांच से संबंधित पांच याचिकाएं विभिन्न उच्च न्यायालयों में दायर की गई हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने क्या कहा
सर्वोच्च न्यायालय ने क्या कहा
पीठ ने कहा, यह उचित होगा कि इस स्थानांतरण याचिका का विषय बनने वाली सभी याचिकाओं को सुनवाई के लिए कर्नाटक उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया जाए। यदि इसके बाद किसी अन्य उच्च न्यायालय में इसी तरह की याचिकाएं दायर की जाती हैं, तो वे भी इस आदेश के दायरे में आएंगी।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने सीसीआई की याचिका पर नोटिस जारी किया था, जिसमें अमेजन और फ्लिपकार्ट की याचिकाओं को विभिन्न उच्च न्यायालयों से सर्वोच्च न्यायालय या दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने की मांग की गई थी।
सीसीआई की याचिका में इलाहाबाद, मद्रास, तेलंगाना, पंजाब और हरियाणा, दिल्ली और कर्नाटक के उच्च न्यायालयों में लंबित मामलों को कार्यवाही को सुव्यवस्थित करने के लिए स्थानांतरित करने की मांग की गई थी। नियामक ने ई-कॉमर्स दिग्गजों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच शुरू की, जिसमें उनके प्लेटफार्म पर भारी छूट और पसंदीदा विक्रेताओं के साथ विशेष गठजोड़ शामिल है।
यह जांच दिल्ली व्यापार महासंघ की ओर से स्मार्टफोन और संबंधित सामान के व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली शिकायत के बाद की गई थी। जवाब में, अमेजन और फ्लिपकार्ट ने सीसीआई के आदेश को चुनौती देते हुए कई उच्च न्यायालयों में अलग-अलग याचिकाएं दायर कीं।
यह जांच भारत में अमेजन और फ्लिपकार्ट के लिए एक महत्वपूर्ण विनियामक बाधा उत्पन्न करती है, जहां ई-कॉमर्स की बिक्री 2023 में 57-60 बिलियन से बढ़ कर 2028 तक १६० बिलियन से अधिक होने का अनुमान है।
आयोग के अनुसार, जांच शुरू होने के बाद से अमेजन और फ्लिपकार्ट से जुड़े विक्रेताओं के साथ-साथ सैमसंग और वीवो जैसी कंपनियों की ओर से पांच भारतीय उच्च न्यायालयों में लगभग दो दर्जन मुकदमे दायर किए गए हैं, जिनका उद्देश्य जांच को कमजोर और विफल करना है।