-हरियाणा के पिंजौर गिद्ध संरक्षण प्रजनन केंद्र से आएंगे 20 गिद्ध बेंगलूरु. बन्नेरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान (बीएनपी) में बहुप्रतीक्षित गिद्ध प्रजनन केंद्र का सपना हकीकत में बदलने वाला है। केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) ने आखिरकार इसे अपनी मंजूरी दे दी है। इस केंद्र के अस्तित्व में आने से लंबी चोंच वाले और सफेद पूंछ वाले गिद्धों Vultures की चिंताजनक रूप से घटती आबादी को बढ़ाने में मदद मिलेगी। अगर सब कुछ ठीक रहा तो यह दक्षिण भारत में अपनी तरह की पहली और सबसे बड़ी सुविधा होगी।
कर्नाटक वन विभाग Karnataka Forest Department (केएफडी) के सूत्रों के अनुसार, सीजेडए समिति ने अपनी हालिया बैठक में इस परियोजना को हरी झंडी दी है। विभाग अब आगे बढऩे के लिए औपचारिक संचार का इंतजार कर रहा है। वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि चार वर्ष से ज्यादा समय से इस परियोजना को सीजेडए समिति से मंजूरी का इंतजार था। वन विभाग को बस अब औपचारिक घोषणा का इंतजार है।
कुछ महीने लगेंगे घोषणा के तुरंत बाद, केएफडी KFD उत्तरी हरियाणा के पिंजौर गिद्ध संरक्षण प्रजनन केंद्र से लगभग 20 गिद्ध लाने की प्रक्रिया शुरू करेगा। केंद्र वर्षों पहले ही बनकर तैयार हो गया था, लेकिन इसे फिर से तैयार करने के लिए कुछ काम करने की जरूरत होगी। पक्षियों को लाने में कुछ महीने लगेंगे।
डाईक्लोफेनाक मुक्त भोजन बीएनपी के गिद्ध प्रजनन केंद्र में प्रजनन के लिए बंदी गिद्धों को रखने के लिए दो एवियरी हैं। गिद्धों को डाईक्लोफेनाक मुक्त भोजन खिलाने की व्यवस्था भी की गई है। जब पक्षी अंडे देंगे, तो अंडों को ब्रूडर यूनिट में नियंत्रित तापमान पर रखा जाएगा। अंडे से बच्चे निकलने के बाद, केंद्र में उनकी देखभाल होगी। जंगल में छोड़े जाने के लायक होने के बाद इन्हें छोड़ दिया जाएगा।
लालफीताशाही में फंसी रही फाइल हरियाणा सरकार कर्नाटक Karnataka को गिद्ध उपहार में देने को तैयार है। पूरे मामले से जुड़े कर्नाटक चिड़ियाघर प्राधिकरण के एक अधिकारी ने बताया कि पिंजौर गिद्ध प्रजनन केंद्र में ऐसे गिद्धों की संख्या 300 से ज्यादा है। हरियाणा सरकार के अधिकारियों ने इस संबंध में राज्य को कम-से-कम चार पत्र भी लिखे हैं। हर बार पत्र स्वीकृति के लिए सीजेडए भेजे गए हैं। लेकिन, फाइल लालफीताशाही में फंसी रही।
बेंगलूरु-मैसूरु एक्सप्रेसवे, शहरीकरण, भोजन की कमी बनी काल वन्यजीव कार्यकर्ताओं के अनुसार प्रजनन केंद्र को जल्द से जल्द शुरू करना महत्वपूर्ण है। इन गिद्धों की आबादी में भारी गिरावट जारी है। रामनगर में लगभग छह लंबी चोंच वाल और रामदेवराबेट्टा अभयारण्य में 10-12 मिस्री गिद्ध हैं। बेंगलूरु-मैसूरु एक्सप्रेसवे, इसके आसपास बढ़ते शहरीकरण और गिद्धों के लिए भोजन की कमी ने इनके अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है।
गिद्ध मिले भी तो प्रजनन में लगेगा समय एक बार गिद्धों को लाने के बाद, प्रजनन तुरंत नहीं होगा। गिद्धों को नए परिवेश में ढालना होगा। फिर उन्हें प्रजनन के लिए जगह और समय देना होगा। रीवाइल्डरिंग भी करनी होगी। फिर कम-से-कम मानवीय हस्तक्षेप के साथ युवा पक्षियों को अभयारण्य में छोडऩा होगा। यह सब समय लेगा।
वन मंत्री ने जून में दिए थे निर्देश राज्य के वन मंत्री ईश्वर बी. खंड्रे ने इस वर्ष जून में कर्नाटक चिड़ियाघर प्राधिकरण के अधिकारियों और राज्य के चिड़ियाघर के प्रमुखों से मुलाकात की थी। उस दौरान उन्होंने प्रजनन केंद्र में तैयारियां शुरू करने के निर्देश दिए थे।