scriptसुख दु:ख को मन ही भोगता है-कपिल मुनि | The mind experiences happiness and sorrow - Kapil Muni | Patrika News
बैंगलोर

सुख दु:ख को मन ही भोगता है-कपिल मुनि

धर्मसभा का आयोजन

बैंगलोरSep 20, 2021 / 08:04 am

Yogesh Sharma

सुख दु:ख को मन ही भोगता है-कपिल मुनि

सुख दु:ख को मन ही भोगता है-कपिल मुनि

बेंगलूरु. श्रीरामपुरम स्थित जैन स्थानक में विराजित कपिल मुनि के सान्निध्य में सर्व सिद्धि प्रदायक भक्तामर स्तोत्र का आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने मुनि के निर्देशन में जप आराधना का लाभ लिया। कपिल मुनि ने भक्तामर स्तोत्र की महिमा बताते हुए कहा कि तीर्थंकर परमात्मा असीम शक्ति के पुञ्ज हैं। उनकी स्तुति और भक्ति से पाप रूपी अन्धकार का नाश होता है और आत्मा के मौलिक गुणों का प्रकटीकरण होता है। अत्यंत प्रबल पुण्य के प्रभाव से ही व्यक्ति के मन में श्रद्धा का जन्म होता है। श्रद्धा भक्तिपूर्ण हृदय से की गई स्तुति का फल अवर्णनीय होता है। उन्होंने कहा कि इस जाप के प्रभाव से जीवन में अनिष्ट और अशुभ की सारी संभावनाएं क्षीण हो जाती हैं और जीवन में जितने भी शुभ और श्रेष्ठ हंै वे सभी साकार होते हैं।
मुनि ने कहा कि जप साधना के प्रति अविचल आस्था और निरंतरता ही हमारे भीतर उस शक्ति केंद्र का निर्माण करती है जिसके सहारे हम अपनी साधना को क्रियावान और प्राणवान बना पाते हैं। उन्होंने कहा कि विपरीत हालातों में इंसान जो कुछ भी भोगता है उससे सर्वाधिक प्रभावित उसका मन होता है। दरअसल सुख दु:ख को मन ही भोगता है। संघ के मंत्री बालूराम दलाल ने बताया कि सोमवार से मुनि के प्रवचन की शृंखला प्रतिदिन 9:15 बजे से 10:15 बजे तक ‘समझें जीवन के मर्म और आत्मा के धर्म को” विषय पर होगी।

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