बजाज ने कहा कि जांच एजेंसियों को मजबूत करने के लिए बजट प्रावधान बढ़ाने की जरूरत है। हालांकि बजट प्रावधान हर साल बढ़ रहा है, इसे और बढ़ाने की जरूरत है। राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति को अभी भी लागू नहीं किया जा सका है। हमें यह भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि भारत में सभी ऐप, विशेष रूप से वित्तीय ऐप, इंटरनेट लिंक (प्लेस्टोर या ऐपस्टोर के अलावा) पर जनता के लिए उपलब्ध कराए जाने से पहले सरकारी जांच से गुजरें। भारत वर्तमान में विदेशी न्यायालयों से इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य प्राप्त करने के लिए पारस्परिक कानूनी सहायता संधियों (एमएलएटी) और अन्य द्विपक्षीय समझौतों पर निर्भर है।
डिजीटल भुगतान ने बढ़ी चुनौतियांचार्टर्ड अकाउंटेंट और जीतो अपेक्स के निदेशक श्रीपाल बच्छावत ने कहा कि भारत ने डिजिटल भुगतान को तेजी से अपनाया है, लेकिन इस बदलाव ने धोखाधड़ी, जागरुकता की कमी और तकनीकी समस्याओं जैसी चुनौतियां भी ला दी हैं। ज्ञान की कमी इसका मुख्य कारण है। कई उपयोगकर्ता यह नहीं समझते कि डिजीटल भुगतान कैसे काम करता है, जिससे वे धोखेबाजों के लिए आसान लक्ष्य बन जाते हैं। धोखाधड़ी करने वाले ऐप उपयोगकर्ताओं को यह सोचने के लिए प्रेरित कर सकते हैं कि भुगतान किया गया है, लेकिन विके्रताओं को कभी भी पैसा नहीं मिलता है। कमजोर सुरक्षा, खराब तरीके से सुरक्षित भुगतान उपकरण साइबर हमलों के जोखिम को बढ़ाते हैं। उन्होंने कहा कि नेफ्थ, आरटीजीएस व यूपीआई के जरिए भुगतान में अक्सर भुगतान को चालान से मिलान करने की सुविधाएं नहीं होती हैं, जिससे भ्रम की स्थिति पैदा होती है। बच्छावत ने कहा कि अपना फोन सुरक्षित रखें, एक मजबूत पिन या पासवर्ड का इस्तेमाल करें और इसे कभी भी शेयर न करें। अज्ञात लिंक पर क्लिक न करें। अगर आपको यकीन न हो तो भेजने वाले से पुष्टि करें। अपने फोन और ऐप को अपडेट रखें। एंटीवायरस सॉफ्टवेयर का उपयोग करें और दो-चरणीय सत्यापन सक्षम करें।
डायनेमिक पेमेंट लिंक का उपयोग करें: व्यवसायियों को स्थिर क्यूआर कोड से बचना चाहिए और सुरक्षित लेनदेन के लिए डायनेमिक लिंक का उपयोग करना चाहिए। किसी भी धोखाधड़ी होने पर तुरंत साइबर पुलिस को रिपोर्ट करें। सतर्क रहकर और इन चरणों को अपनाकर, उपयोगकर्ता और व्यवसाय डिजीटल भुगतान को सुरक्षित बना सकते हैं।
्रसार्वजनिक वाई-फाई का उपयोग करने से बचेंट्रेड एक्टिविस्ट सज्जनराज मेहता की मानें तो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 2023-24 में ऑनलाइन भुगतान धोखाधड़ी में पांच गुना वृद्धि की रिपोर्ट की है। मेहता ने कहा कि अपना ओटीपी या पिन कभी भी किसी के साथ साझा न करें। अगर कोई आपका ओटीपी, पिन या अन्य क्रेडेंशियल मांगे तो कॉल का जवाब न दें। ऐसे कॉल से सावधान रहें जो बैंक मैनेजर होने का दावा करते हैं, खासकर अगर वे आपसे आपके क्रेडेंशियल मांगते हैं। संवेदनशील लेनदेन के लिए सार्वजनिक वाई-फाई का उपयोग करने से बचें। अपने डिवाइस के सॉफ्टवेयर को अपडेट रखें। अगर आपके साथ धोखाधड़ी हुई है, तो आप उस बैंक या कंपनी से संपर्क कर सकते हैं। साइबर धोखाधड़ी की रिपोर्ट नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल या 1930 पर कॉल करके भी कर सकते हैं।