वैज्ञानिकों की इस खोज से साल्मोनेला बैक्टीरिया को निष्प्रभावी करने के लिए विशेष प्रकार के अणु विकसित करने का रास्ता साफ हुआ। क्योंकि, अमूमन यह जीवाणु एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो जाते हैं। इस अनुसंधान का नेतृत्व करने वाली आइआइएससी में माइक्रोबायोलॉजी एवं सेल बायोलॉजी विभाग की प्रोफेसर दीपशिखा चक्रवर्ती ने पत्रिका को बताया कि, इस जीवाणु से सौप-बी नामक एक प्रोटीन का स्राव होता है जो इसे रोगजनक बनाता है। उनकी टीम ने यह पता लगाया है कि आखिर किस तरह से यह शरीर की रक्षा प्रणाली को ध्वस्त करने में कामयाब होता है।
उन्होंने बताया कि, यह जीवाणु बुलबुले जैसी एक संरचना के भीतर होता है जिसे, साल्मोनेला युक्त रिक्तिका (एससीवी) कहते हैं। जब यह मानव शरीर के भीतर प्रवेश करता है तो जवाब में शरीर की प्रतिरक्षा कोशिकाएं प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन प्रजातियों (आरओएस) और प्रतिक्रियाशील नाइट्रोजन प्रजातियों (आरएनएस) के साथ लाइसोसोम का उत्पादन शुरू कर देती हैं। लाइसोसोम साल्मोनेला रिक्तिका या साल्मोनेला जीवाणु की झिल्लियों से चिपककर उसे नष्ट करने की कोशिश करता है।
सौप-बी प्रोटीन बनाता है घातक दीपशिखा ने बताया कि, अनुसंधान के दौरान उन्होंने पाया कि यह रोगजनक जीवाणु शरीर की रक्षा तंत्र को भेदने के लिए दोहरी रणनीति अपनाता है। पहला साल्मोनेला से निकलने वाला स्राव यानी, सौप-बी नामक प्रोटीन लाइसोसोम को साल्मोनेला रिक्तिका से चिपकने ही नहीं देता। जब लाइसोसोम रिक्तिका से चिपक ही नहीं पाता तो उसे नष्ट करना असंभव हो जाता है। दूसरा, सौप-बी प्रोटीन शरीर में लाइसोसोम का उत्पादन भी रोक देता है। जब साल्मोनेला से इस प्रोटीन को हटा दिया तो यह संक्रमण पैदा करने लायक नहीं रहा।
विशेष अणु के विकास की कोशिश उन्होंने कहा कि, इस खोज से आगे चलकर काफी फायदे होंगे। साल्मोनेला जीवाणु टायफाइड और गैस की समस्या से लेकर मवेशियों के लिए भी काफी परेशानी का कारण बने हुए हैं। अगर इसके लिए एंटीबायोटिक दवाएं विकसित करें तो भी कोई खास फायदा नहीं होगा क्योकि, जल्द ही ये बैक्टीरिया एंटीबायोटिक दवाओं के प्रतिरोधी हो जाएंगे। इसलिए एक ऐसे अणु के विकास का प्रयास हो रहा है जो सौप बी प्रोटीन को टारगेट करे। अगर इस प्रोटीन का स्राव रोक दें तो यह निष्क्रीय हो जाएगा और संक्रमण पैदा नहीं कर सकेगा।