scriptसोलर पैनल की तकनीक से बना कोरोना से लडऩे का हथियार | solar panel tech become weapon against corona | Patrika News
बैंगलोर

सोलर पैनल की तकनीक से बना कोरोना से लडऩे का हथियार

हाइड्रोफोबिक नैनो कोटिंग से तैयार होंगे मास्क
संपर्क में आते ही मारे जाएंगे वायरस
बेंगलूरु के शोध संस्थान में विकसित तकनीक पर डीएसटी की मुहर, बड़े पैमाने पर उत्पादन की मंजूरी

 

बैंगलोरApr 28, 2020 / 01:02 am

Rajeev Mishra

dr_ms_santosh.jpg

,,,,

बेंगलूरु. सोलर पैनलों पर धूलकण की परत जमने से बचाने के लिए विकसित नैनो-कोटिंग तकनीक अब कोविड-19 के खिलाफ जंग में कारगर हथियार बनेगा। इस तकनीक का विकास करने वाले बेंगलूरु के एक शोध संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम ने इस तकनीक को सुधारकर हाइड्रोफोबिक नैनो कोटिंग (लेप) तैयार किया है जिसका इस्तेमाल डिस्पोजेबल मास्क में होगा। हाइड्रोफोबिक कोटिंग युक्त ये मास्क संपर्क में आने वाले किसी भी प्रकार के जीवाणुओं (बैक्टिीरिया) या रोगाणुओं (वायरस) को निष्क्रिय करने में सक्षम होंगे।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने डिस्पोजेबल मास्क के लिए इस हाइड्रोफोबिक नैनो कोटिंग्स के बड़े पैमाने पर उत्पादन की मंजूरी दे दी है। इस परियोजना की फंडिंग भी डीएसटी ही करेगा।
दरअसल, यह तकनीक बेंगलूरु के ज्योति इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (जेआइटी) के डॉ विश्वनाथ आर., डॉ एम.एस. संतोष के नेतृत्व में विद्यार्थियों की टीम ने विकसित किया है। ये नैनो कोटिंग चिकित्सकीय मास्क को कीटाणु मुक्त बनाएंगे।

मास्क पर नहीं टिकेगा पानी, धूल
डॉ. संतोष ने पत्रिका को बताया कि पिछले तीन महीनों के प्रयास का नतीजा सामने आया है। उन्होंने बताया कि सोलर पैनल पर धूल-कण अथवा पानी की बूंदें जमा हो जाए तो कारगर तरीके से ऊर्जा उत्पादन नहीं होता है। इसके लिए उनके संस्थान द्वारा एक कोटिंग तैयार की गई जिससे सोलर पैनल पर धूलकण या पानी की बंूदें नहीं टिकती हैं। अब उसी तकनीक में सुधार कर एक हाइड्रफोबिक कोटिंग विकसित की गई है जिससे डिस्पोजेबल मास्क तैयार किए जाएंगे।

उन्होंने बताया कि बाजार में उपलब्ध एन-95 मास्क वायरस और बैक्टीरिया सहित हर प्रकार के कणों को रोकने में सक्षम है, लेकिन वे काफी महंगे हैं। ऐसे मास्क के इस्तेमाल से पहले परीक्षण की जरूरत भी है। इसके अलावा पहने जाने वाले मास्क की सतह कई प्रकार से संपर्क में आती है जिससे वह गंदा हो जाता है। इन तमाम पहलुओं को ध्यान में रखकर डिस्पोजेबल मेडिकल मास्क आवश्यक हैं। जो मास्क अभी बाजार में उपलब्ध है वह पसीने अथवा पर्यावरणीय नमी के कारण गीला हो जाते हैं। गीले मास्क से जीवाणुओं अथवा वायरस के संक्रमण का खतरा और बढ़ जाता है। संस्थान द्वारा तैयार हाइड्रोफोबिक कोटिंग पर ना तो धूलकण और ना ही द्रव की बंूदें टिकती हैं। यह गीला नहीं हो सकता। इस कोटिंग में मौजूद धात्विक गुणों के कारण संपर्क में आते ही सूक्ष्म जीवाणु अथवा वायरस (रोगाणु) मारे जाते हैं।

सुरक्षित और प्रभावी
उन्होंने बताया कि शोधकर्ताओं सोल-जेल तकनीक का उपयोग कर नैनो कणों के सहारे हाइड्रोफोबिक नैनो कोटिंग का निर्माण करेंगे, जिससे मास्क की सतह से प्रभावी रूप से पानी या नमी को हटाना संभव होगा। नैनो कोटिंग सुरक्षित और किफायती होने के साथ ही कोविड-19 के खिलाफ काफी प्रभावी भी है। इससे आम आदमी की व्यापक जरूरतें पूरी की जा सकेंगी और समाज के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण देने में सहायता मिलेगी। उन्होंने बताया कि विभिन्न शोधों के आधार पर यह अनुमान लगाया है कि आने वाले दिनों में एक अरब मास्क की आवश्यकता होगी। अगर उनमें यह कोटिंग हो तो यह काफी प्रभावी साबित होगा।

काफी अहम है यह तकनीक: डीएसटी
डीएसटी के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा की सूक्ष्म जीव और पानी रोधी मास्क का उद्देश्य काफी अहम है क्योंकि पर्यावरण में नम संक्रमित तरल की मात्रा ज्यादा है या मास्क को ठीक करने के लिए बार-बार छूना पड़ता है। ऐसी कई प्रकार की कोटिंग तैयार की जा रही हैं, जो अगर सुरक्षित हों, सांस लेने की प्रक्रिया से समझौता न करें और किफायती हों तो ये खासी अहम हो सकती हैं। डॉ संतोष ने बताया कि अगले तीन से चार महीने में यह मास्क बाजार में उपलब्ध हो जाएगा।

Hindi News / Bangalore / सोलर पैनल की तकनीक से बना कोरोना से लडऩे का हथियार

ट्रेंडिंग वीडियो