अस्पतालों में लिया जाने वाला सेवा शुल्क सरकार को नहीं दिया जाएगा। स्थिति ऐसी नहीं है कि सरकार को सेवा शुल्क बढ़ाकर गारंटी योजनाओं के लिए भुगतान करना पड़े। सरकार अस्पतालों में वसूला जाने वाला सेवा शुल्क नहीं लेती। संबंधित अस्पताल अपने विकास के लिए इस शुल्क का उपयोग करेंगे।
हर तीन से चार साल में शुल्क संशोधन एक सामान्य प्रक्रिया है। मंगलूरु में गुरुवार को मीडिया को जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि बीएमसीआरआइ से संबद्ध राज्य संचालित विक्टोरिया, मिंटो, वाणी विलास, सुपर स्पेशियलिटी और ट्रॉमा एंड इमरजेंसी केयर अस्पतालों में उपचार, सर्जरी, रक्त परीक्षण, स्कैन और अन्य चिकित्सा सेवाओं के लिए उपयोगकर्ता शुल्क एक नवंबर से संशोधित किया गया है।उन्होंने कहा, कुछ मामलों में सेवा शुल्क में 10 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जो 10 रुपए था, उसे हमने अब 20 रुपए कर दिया है और जो 20 रुपए था, उसे बढ़ाकर 40 या 50 रुपए किया गया। उस समय की दरों और आज की दरों के बीच कोई तुलना नहीं की जा सकती।
मंत्री ने कहा, आजकल अगर सरकार कुछ करती है तो उसे गारंटी योजनाओं से जोड़ दिया जाता है। कहा जाता है कि चूंकि गारंटी योजनाओं के कारण सरकार के पास पैसा नहीं है, इसलिए यह सब किया जा रहा है। उन्होंने सवाल किया कि इससे पहले क्या पानी और बिजली के बिलों में संशोधन नहीं किया गया था? इस तरह की बढ़ोतरी पिछली सरकारों के कार्यकाल में हुई है।