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बैंगलोर

देखते ही देखते पांच साल में शहर की 15 झीलें और समाप्त

जलसंकट की गंभीर होती स्थिति के बाद भी बेंगलूरु में झीलों के संरक्षण को लेकर सरकार और संबंधित एजेंसियों की उदासीनता बरकरार है। यहां तक कि पिछले साढ़े चार वर्ष में ही शहर की 15 झीलों का अस्तित्व समाप्त होने की ओर बढ़ गया।

बैंगलोरJun 09, 2019 / 11:37 pm

शंकर शर्मा

देखते ही देखते पांच साल में शहर की 15 झीलें और समाप्त

देखते ही देखते पांच साल में शहर की 15 झीलें और समाप्त

बेंगलूरु. जलसंकट की गंभीर होती स्थिति के बाद भी बेंगलूरु में झीलों के संरक्षण को लेकर सरकार और संबंधित एजेंसियों की उदासीनता बरकरार है। यहां तक कि पिछले साढ़े चार वर्ष में ही शहर की 15 झीलों का अस्तित्व समाप्त होने की ओर बढ़ गया।

बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) ने वर्ष २०१४ में कर्नाटक हाई कोर्ट को बताया था कि शहर में १८३ झीलें हैं, लेकिन पांच वर्ष से भी कम अंतराल पर इसी सप्ताह बीबीएमपी ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा कि शहर में मात्र १६८ झीलों का अस्तित्व शेष है। यानी पिछले पांच वर्ष के दौरान झील संरक्षण की बड़ी बड़ी बातें की गई, लेकिन झील बचाने के नाम पर कोई काम नहीं हुआ। परिणामत: १५ झीलें बीबीएमपी के सामने ही गायब हो गईं।


झीलों की मौजूदा स्थिति पर हाई कोर्टको सौंपी गई एक रिपोर्ट पर बीबीएमपी की अक्षमता उजागर हुई है। बीबीएमपी ने कहा है कि पिछले पांच वर्ष के दौरान जिन १५ झीलों को भरकर बस पड़ाव, स्टेडियम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कार्यालय, राजस्व क्वार्टर, केएचबी कॉलोनी, बीडीए लेआउट आदि बनाए गए। झीलों का अतिक्रमण ना सिर्फ सरकारी विभागों की ओर से किया गया, बल्कि निजी अतिक्रमणकारी भी इसमें पीछे नहीं रहे। झीलों की जमीन पर निजी अपार्टमेंट, स्कूल और धार्मिक स्थलों का निर्माण हो गया।


कोर्ट ने हैरानी जताते हुए बीबीएमपी से मौखिक रूप से पूछा कि कि जब पिछले पांच वर्षों से झील अतिक्रमण रोकने पर सर्वाधिक चर्चा हो रही है। बीबीएमपी और बीडीए जैसी एजेंसियां इसके लिए विशेष कार्य योजना बना चुके हैं, फिर भी बीबीएमपी की आंखों के सामने अतिक्रमण हो गया। कोर्ट ने सख्ती से कहा कि यह तर्क देना कि सरकारी योजनाओं के लिए झीलों का अस्तित्व मिटा दिया गया तर्कसंगत नहीं है।

किसी भी रूप मेंं झीलों का अतिक्रमण नहीं होना चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि झील बरकरार रहें ना कि उन्हें भरकर सडक़, कॉलोनी या अन्य प्रकार का निर्माण हो जाए। कोर्ट ने कहा कि झीलों का विनाश अनुच्छेद 21 का उल्लंघन (कोई व्यक्ति या संस्थान जल निकाय के जीवन को समाप्त नहीं कर सकता है) करने के साथ ही आम नागरिकों के भरोसे का गला घोंटना है।

७५ झीलों में जाता है सिर्फ वर्षा जल
झील संरक्षण के उपायों के तहत बीबीएमपी ने शहर की ७५ झीलों को पूरी तरह से संरक्षित करने का दावा किया है। इसके तहत इन झीलों में नालों का गंदा पानी नहीं जाता है और सिर्फ बरसाती नालों का पानी पहुंंचता है। इसके अतिरिक्त १७ अन्य झीलों में भी सीवेज प्रवेश के रोक का निर्माण गतिमान है, जिसे ३१ अगस्त २०१९ तक पूरा कर लिया जाएगा। १६८ झीलों में ५८ झीलों को बीडीए ने बीबीएमपी को हस्तांतरित किया है।

इन झीलों में हुआ अतिक्रमण
विज्ञानपुरा झील, इटमाडू झील, चिकलसंद्रा झील, तवारेकेरे झील, कामाक्षीपाल्या झील, बेलेकहल्ली झील, हलगे वडेरहल्ली झील, अरेहल्ली झील, नंदी शेट्टप्पा झील, गुंडोपंथ झील, करिसांद्रा झील, गंगोंडानहल्ली झील, बयटागुंटे पाल्या झील, लिंगराजपुरा झील, गेदलहल्ली झील, साई गोरुवहल्ली झील, शिवनहल्ली झील।

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