बैंगलोर

…वरना, अभिभावकों से वसूलेंगे शुल्क

शिक्षा का अधिकारनाराज केएएमएस ने दी सीधे अभिभावकों से पाठ्यक्रम शुल्क वसूलने की चेतावनीराज्य सरकार पर 625 करोड़ रुपए बकाया

बैंगलोरJun 05, 2019 / 08:47 pm

Rajendra Vyas

बेंगलूरु. एसोसिएटेड मैनेजमेंट ऑफ प्राइवेट स्कूल्स इन कर्नाटक (केएएमएस) सहित अन्य स्कूल संगठनों ने मंगलवार को एक संयुक्त प्रेस वार्ता में प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग के रवैये पर नाराजगी जताई। शिक्षा का अधिकार (आरटीइ) अधिनियम के तहत दाखिल बच्चों के अभिभावकों से जून के बाद से सीधे शुल्क वसूलने की चेतावनी दी है। केएएमएस के महासचिव डी. शशि कुमार ने कहा कि निजी स्कूलों का प्रदेश सरकार पर 625 करोड़ रुपए बकाया है। आरटीइ के तहत सत्र 2017-18 के लिए प्रदेश सरकार को 1000 करोड़ रुपए जारी करने थे, लेकिन अब तक 375 करोड़ रुपए का ही भुगतान हुआ है। बार-बार याद दिलाने के बावजूद समस्या बरकरार है। उन्होंने कहा कि जून तक सरकार अगर बकाया राशि का भुगतान नहीं करती है तो स्कूल प्रबंधन सीधे अभिभावकों से पाठ्यक्रम शुल्क वसूलने पर मजबूर हो जाएंगे। प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना के तहत सरकार यह राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में डाल सकती है।
बच्चों को होमवर्क नहीं देने और स्कूल बैग का वजन घटाने जैसे निर्देशों पर कुमार ने कहा कि होमवर्क पर रोक अवैज्ञानिक और अव्यावहारिक है। सीखने की प्रक्रिया बाधित होगी। अटेंशन डिफिसिट हाइपरएक्टिव डिसऑर्डर (एडीएचडी) पीडि़त बच्चों सहित डिस्लेक्सिया और ऑटिस्टिक बच्चे भी प्रभावित होंगे। कुमार ने कहा कि वे मांग करते हैं कि शिक्षा विभाग और प्रदेश सरकार अपने निर्णय पर पुनर्विचार करे। तब तक नियम मानने पर स्कूलों को बाध्य नहीं किया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार स्कूलों पर अवैज्ञानिक नियम थोपेगी तो स्कूल न्यायालय से न्याय की गुहार लगाने पर मजबूर हो जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि विभाग ने कक्षा अनुसार स्कूल बैग का अधिकतम वजन निर्धारित किया है। अधिसूचना में स्कूलों को यह निर्देश भी दिया गया है कि प्रत्येक महीने के तीसरे शनिवार को बैग लेस डे घोषित करें। यानी इस दिन बच्चे बिना बैग के स्कूल आएंगे। उन्होंने कहा कि सुविधाएं उपलब्ध कराएं, ताकि बच्चे स्कूल में ही पुस्तक छोड़ कर जा सकें। शुद्ध पेयजल की सुविधा उपलब्ध हो ताकि बच्चों को पानी के बोतल के बोझ से भी छुटकारा मिले।

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