बैंगलोर

बच्चों को खुद लेकर स्कूल पहुंचे अभिभावक

बस संचालकों की हड़ताल से विद्यार्थियों और अभिभावकों को काफी परेशानी उठानी पड़ी। हड़ताल का असर विशेषकर सुबह स्कूल के बाहर और सड़कों पर भी दिखाई दिया। स्कूल के बाहर दो और चार पहिया वाहनों की लंबी कतार लगी रही। विद्यालयों में हर दिन बच्चों को पहुंचाते और घर छोडऩे के काम में 16 हजार से ज्यादा चालक हैं।

बैंगलोरOct 24, 2019 / 06:18 pm

Nikhil Kumar

बच्चों को खुद लेकर स्कूल पहुंचे अभिभावक

निजी स्कूल बस संचालकों की हड़ताल से विद्यार्थी परेशान
बेंगलूरु.

विभिन्न मांगों को लेकर बुधवार को निजी स्कूल बस संचालकों की हड़ताल से विद्यार्थियों (Students) और अभिभावकों (Parents) को काफी परेशानी उठानी पड़ी। हड़ताल के कारण अभिभावकों को खुद बच्चों को स्कूल छोडऩा और लाना पड़ा। इस वजह से जहां कई अभिभावकों को अपने कार्यालय से छुट्टी तक लेनी पड़ी वहीं कई बच्चों को स्कूल छोडऩे के बाद काम पर गए। हड़ताल का असर विशेषकर सुबह स्कूल के बाहर और सड़कों पर भी दिखाई दिया। स्कूल के बाहर दो और चार पहिया वाहनों की लंबी कतार लगी रही।

कर्नाटक यूनाइटेड स्कूल एंड लाइट मोटर व्हीकल्स ड्राइवर्स यूनियन (Karnataka United School and Light Motor Vehicles Drivers’ Union) के बैनर तले कई वाहन चालक संघों के हजारों चालकों ने बुधवार को मल्लेश्वरम (malleshwaram) स्थित सिरुर पार्क में प्रदर्शन किया। विद्यालयों में हर दिन बच्चों को पहुंचाते और घर छोडऩे के काम में 16 हजार से ज्यादा चालक हैं। उनका आरोप है कि पुलिस और परिवहन अधिकारियों की उत्पीडऩ गंभीर समस्या है। षणमुगम ने कहा कि समय रहते अभिभावकों को हड़ताल की सूचना दे दी गई थी। सरकार अगर मांगों को अनसुना करती है तो बड़े पैमाने पर प्रदर्शन करेंगे।

ये हैं मांगें

केयूएसएलएमवीडीयू के अध्यक्ष पीएस षणमुगम ने कहा कि राजनेताओं और अधिकारियों को चालकों की भूमिका समझनी चाहिए। संशोधित मोटर वाहन अधिनियम (Amended motor vehicle act) के कारण पहले से ही परेशान चालकों की समस्या और बढ़ गई है। उस पर सरकार 15 वर्ष पुराने वाहनों को प्रतिबंधित करना चाहती है। उन्होंने सरकार से अपील की कि स्कूल वैनों (school van) और बसों (school bus) को अलग योजना के तहत परमिट दी जाए। शहर में करीब पांच हजार शैक्षणिक संस्थानों के पास खुद के वाहन नहीं हैं। ऐसे में वे निजी बस या वैन संचालकों पर निर्भर रहते हैं।

क्या कहते हैं पदाधिकारी और चालक

– ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर, प्रदेश उपाध्यक्ष केवी भट्ट ने कहा कि बेंगलूरु जैसे भीड़भाड़ वाले शहर में बच्चों को स्कूल पहुंचाने और लाने वाले वैन व हल्के मोटर वाहन महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करते हैं। हर वाहन में 10-16 बच्चे एक साथ पहुंचते हैं। इन सेवाओं के अभाव का मतलब है सड़क पर अतिरिक्त 10-16 हजार वाहनों का बोझ बढऩा होगा।

– चालक गनणेश ने कहा कि कई स्कूलों के पास खुद की पार्किंग नहीं है। बच्चों के इंतजार में जब वे सड़क पर गाड़ी खड़ी करते हैं तब यातायात पुलिस जुर्माना लगाती है। जबकि प्रशासन को उन स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए जो पार्किंग स्पेस के बिना स्कूल चला रहे हैं।

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