सात्विक विचारों के लिए सात्विक भोजन जरूरी-साध्वी भव्यगुणाश्री
सात्विक विचारों के लिए सात्विक भोजन जरूरी-साध्वी भव्यगुणाश्री
बेंगलूरु. विमलनाथ जैन मंदिर जिनकुशल सूरी दादावाड़ी बसवनगुडी में साध्वी भव्यगुणाश्री ने कहा कि आहार का विचारों के साथ गहरा संबंध है तामसी विचारों में किया गया अमृत जैसा भोजन भी जहर बन जाता है। यह बात साध्वी भव्यगुणाश्री ने कही। आहार उदर पूर्ति के साथ साथ औषधि का काम भी करता है। तामसिक भोजन से क्रोध उत्तेजना निर्मित होती है जो हिंसा की जननी है। सात्विक विचारों के लिए सात्विक भोजन लेना जरूरी है जो ऑक्सीजन से महत्वपूर्ण है। सात्विक आहार अपनाए बिना विश्व शांति तीन काल में स्थापित नहीं हो सकती विश्व शांति हथियारों से नहीं सात्विक आहार से संभव है। सात्विक आहार से सद्गुण का विकास होता है। प्रेम करुणा सद्भाव का संचार होता है ऐसी आत्मा में ही धर्म का निवास होता है। आहार की शुद्धि से सत्त्व की शुद्धि होती है। सत्व की शुद्धि से बुद्धि निर्मल और निश्चयी बन जाती है। पवित्र और निश्चयी बुद्धि से मुक्ति भी सुलभता से प्राप्त होती है। जवेरीलाल गुलेच्छा ने बताया कि सीमंधर स्वामी राजेंद्र सूरी ट्रस्ट मंडल अध्यक्ष मेघराज भंसाली, नेमीचंद वेद मूथा, मांगीलाल वेदमूथा, हेमराज मोदी, दिलीप कुमार कांकरिया, कीर्तिकुमार बंदामूथा, कांतिलाल कंकुचोपड़ा, कांतिलाल सरत चन्दन कुमार आदि ने साध्वी के दर्शन वंदन का लाभ लिया। साध्वी भव्यगुणाश्री की निश्रा में आगामी चैत्रमास ओली अजितनाथ जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ नगरथपेट में होगी।
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