साध्वीवर्या ने कहा कि अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु,सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चारित्र और सम्यक तप नवपद के परम तत्वरूप हैं। इन नवपदों मे ही सम्पूर्ण जैन शासन का अवतरण है। जैन पंरपरा में पूजा, उपासना का विशेष महत्व है। इस पूजन के प्रभाव से सभी रोग, विघ्न, उपद्रव आदि शांत होते हैं।
सिद्धचक्र पूजन का लाभ किशोर अरुण बालदिया परिवार ने लिया। पूजन में संघ के नरेन्द्र मेहता, सुनील ओस्तवाल, सोहनराज टीलावत, त्रिलोक जैन, धनपाल भीलोशा, शीतल बनवट, मगराज बनवट, तोलचन्द कटारिया सहित अन्य श्रद्धालुओं की उपस्तिथि रही। विधि विधान अनिल गुरु ने करवाया। संगीतकार मंगलभाई एंड पार्टी ने संगीत की प्रस्तुति दी।