बैंगलोर

रॉकेट तकनीक से मिलेगी भारतीय कारों को रफ्तार

इसरो ने ऑटोमोबाइल उद्योग के सामने रखी चुनिंदा 43 अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियां
कैमरा और इमेजिंग सेंसर, तापमान और दबाव सेंसर, जायरोस्कोप, एक्सेलेरोमीटर से लेकर कई तकनीकें जिनका होता है आयात
आत्मनिर्भरता और नवाचार को बढ़ाने की दिशा में उठाया कदम

बैंगलोरDec 18, 2024 / 07:59 pm

Rajeev Mishra

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने उद्योगों में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग के लिए कुछ चुनिंदा तकनीकों का प्रदर्शन किया है। विशेषकर ऑटोमोबाइल उद्योग में प्रयोग होने वाले कार सेंसर समेत ऐसी तकनीकों के विकास में इसरो ने मदद का हाथ बढ़ाया है जिनका विदेशों से आयात करना पड़ता है। इसरो और उसकी अनुषंगी इकाई इन-स्पेस ने इसके लिए ऑटोमोबाइल क्षेत्र के दिग्गजों के साथ रणनीतिक संवाद शुरू कर दिया है ताकि, रॉकेट और उपग्रहों के लिए विकास के दौरान विकसित तकनीकों का उपयोग ऑटोमोबाइल क्षेत्र में हो सके।
इसरो मुख्यालय अंतरिक्ष भवन में इस संदर्भ में एक कार्याशाला का आयोजन किया गया जिसमें इसरो की उन उन्नत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया गया और चर्चा की गई जिन्हें कम लागत पर ऑटोमोटिव क्षेत्र में उपयोग किया जा सकता है। इसरो ने कहा है कि, यह पहल आयातित प्रौद्योगिकियों पर भारतीय ऑटोमोटिव क्षेत्र की निर्भरता को कम करने के साथ ही नवाचार और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगी। इस कार्यशाला में अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी), इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स सिस्टम प्रयोगशाला (एलईओएस, बेंगलूरु), इसरो जड़त्वीय प्रणाली इकाई (आईआईएसयू, तिरुवनंतपुरम), विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी, तिरुवनंतपुरम) और लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (एलपीएससी) सहित इसरो के विभिन्न केंद्रों के विशेषज्ञों ने 43 चुनिंदा प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया।
तकनीकें जिनका इसरो केंद्रों ने किया प्रदर्शन
जिन प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया गया उनमें कैमरा/इमेजिंग सेंसर, तापमान और दबाव सेंसर, जायरोस्कोप, एक्सेलेरोमीटर, ध्वनिक और वाइब्रेशन (कंपन) सेंसर, विशेष प्रकार के कोटिंग्स और चिपकने वाले पदार्थ, कंपन-रोधी और शोर दमन तकनीकें, इन्सुलेशन तकनीकें और सुरक्षा प्रणालियां शामिल हैं। इसरो वैज्ञानिकों की ओर से विभिन्न सत्रों में ऑटोमोटिव क्षेत्र में विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए इन तकनीकों के संभावित बदलाव के बारे में भी विस्तार से बताया गया।
पता लगाएं अंतरिक्ष ग्रेड तकनीकें कैसे आ सकती हैं काम: सोमनाथ
अंतरिक्ष विभाग के सचिव और इसरो के अध्यक्ष डॉ. एस. सोमनाथ ने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों के व्यापक औद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए ज्ञान साझा करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने ऑटोमोटिव उद्योग के प्रमुख हस्तियों को यह पता लगाने के लिए कहा कि, अंतरिक्ष-ग्रेड तकनीकें वाहन सुरक्षा, उनके प्रदर्शन और स्थिरता में कैसे काम में लाई जा सकती हैं। इन -स्पेस के चेयरमैन डॉ पवन गोयनका ने कहा इसरो वैज्ञानिकों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि, इस कार्यशाला से जो सक्रियता आई है उसे आगे बढ़ाने की जरूरत है। इन तकनीकों की व्यावसायिक उपयोग के लिए ऑटोमोटिव उद्योग के भीतर एक पायलट परियोजना शुरू होनी चाहिए। सुब्रोस लिमिटेड की सीएमडी और ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैनुफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की अध्यक्ष श्रद्धा सूरी मारवाह ने अंतरिक्ष क्षेत्र की उन्नत तकनीकों को अपनाने के लिए ऑटोमोटिव क्षेत्र की प्रतिबद्धता जताई।
ऑटो उद्योग की जरूरतें पूरा करने को तैयार इसरो
इसरो ने कहा है कि, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को ऑटोमोटिव क्षेत्र में लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहला कदम उठाया गया है। यह पता लगाने की दिशा में आगे बढ़े हैं कि, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों को भारतीय ऑटो उद्योग की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के कैसे अनुकूल बनाया जा सकता है। इस पहल के बाद आने वाले महीनों में इसरो, इन-स्पेस और ऑटोमोटिव उद्योग के बीच आगे की चर्चा होगी। इससे पहले इसरो अध्यक्ष एस.सोमनाथ ने कहा था कि, देश का ऑटोमोटिव उद्योग विदेशों में निर्मित सेंसर पर निर्भर है। कोविड-19 महामारी के दौरान सेंसर की अनुपलब्धता के कारण ऑटोमोबाइल उद्योग ठप हो गया था। वहीं, अंतरिक्ष क्षेत्र में सभी रॉकेट सेंसर का निर्माण देश में होता है। इसरो ऑटोमोबाइल क्षेत्र को मदद करने के लिए तैयार है।

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