बेंगलूरु. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जहां ऑक्सीजन की कमी से मरीज अस्पतालों में दम तोड़ रहे थे। ऐसे भयावह हालात में दक्षिण पश्चिम रेलवे के बेंगलूरु रेल मंडल की महिला लोको पायलट ने ऑक्सीजन एक्सप्रेेस दौड़ाकर प्राणवायु प्रदान करने में महत्ती भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को मन की बात में लोको पायलट सिरीशा गजिनी से बात की और उनके हौसले को सलाम करते हुए उनके कार्य की सराहना की। प्रधानमंत्री ने उन्हें महिला शक्ति की प्रतिमूर्ति बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि माताओं और बहनों को यह सुनकर गर्व होगा कि एक ऑक्सीजन एक्सप्रेस पूरी तरह से महिलाओं द्वारा चलाई जा रही है। उस पर देश की हर महिला गर्व महसूस करेगी। इतना ही नहीं, हर भारतीय को गर्व महसूस होगा। लोको पायलट सिरीशा ने कहा कि रेलवे इस प्रयास में सहायक रही है और ऑक्सीजन एक्सप्रेस के लिए ‘ग्रीन कॉरिडोर’ के माध्यम से त्वरित परिवहन की सुविधा प्रदान की है। उन्होंने कहा कि उनके माता-पिता उनकी प्रेरणा थे। सिरिशा ने कहा कि उसके पिता ने अपने सभी बच्चों अर्थात तीनों बेटियों को अच्छी तरह से पढऩे के लिए प्रोत्साहित किया और उनकी पेशेवर महत्वाकांक्षाओं में उनका साथ दिया। लोको पायलट सिरीशा गजिनी, सहायक लोको पायलट अपर्णा एनपी, सहायक लोको पायलट नीलम कुमारी जोलारपेट जंक्शन से बेंगलूरु तक चलने वाली विभिन्न ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेनों का हिस्सा रही हैं। जब उनकी बारी आई तो उन्होंने इन ट्रेनों को आसानी से चलाने की जिम्मेदारी ली। ये महिलाएं जो अब तक पुरुषों की खूबी मानी जाती थीं, रेलवे में कॅरियर का सपना देखने वाली कई लड़कियों के लिए, अग्रिम पंक्ति की भूमिकाओं में उदाहरण के रूप में उभरेंगी।
मंडल रेल प्रबंधक अशोक कुमार वर्मा ने बताया कि कोरोना काल में बड़ी चुनौती ऑक्सीजन को सही समय पर सही जगह पहुंचाना था। ऑक्सीजन का झारखंड, बिहार व ओडि़सा में ही उत्पादन हो रहा है। समय का दुरुपयोग किए बिना ऑक्सीजन एक्सप्रेस का परिचालन किया। यहां तक की स्टाफ बदलने वाले स्थान पर भी कम समय व्यतीत किया। मात्र ३ से ५ मिनट में स्टाफ बदला गया। ऑक्सीजन एक्सप्रेस शताब्दी एक्सप्रेस से भी अधिक गति से चली। १८८० किलोमीटर की दूरी में औसत गति ६७ किलोमीटर प्रति घंटा रिकॉर्ड की गई।