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बैंगलोर

आज के दौर महर्षि दधिचि की जरूरत

श्रद्धा भक्ति व उल्लास से मनाई दधिचि जयंती

बैंगलोरAug 26, 2020 / 07:21 pm

Yogesh Sharma

आज के दौर महर्षि दधिचि की जरूरत

आज के दौर महर्षि दधिचि की जरूरत

बेंगलूरु. महर्षि दधिचि इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन की ओर से बुधवार को राजाराजेश्वरी नगर के निकट उत्तराहल्ली रोड स्थित ओमकारा आश्रम महासम्सथाना परिसर में महर्षि दधिचि जयंती श्रद्धा, भक्ति व उल्लास से मनाई गई। इस अवसर पर कोरोना के खात्मे के लिए यज्ञ का भी आयोजन हुआ। ओमकारा आश्रम महासम्सथाना के पीठाधिपति डॉ. आचार्य मधुसुधननन्दा पुरी ने यज्ञ में आहूति देकर कोरोना के खात्मे की प्रार्थना की। इस अवसर पर आश्रम में संचालित संस्कृत वेद पाठशाला के विद्यार्थियों सहित सर्वसमाज के लोगों ने भाग लिया।
महर्षि दधिचि इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव शर्मा ने बताया कि आज ऐसे महामानव का जन्मदिन है जिसने संसार के कल्याण के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया था। इस महामानव का नाम महर्षि दधिचि है। इनके विषय में कथा है कि एक बार वृत्रासुर नाम का एक राक्षस ने देवलोक पर आक्रमण कर दिया। देवताओं ने देवलोक की रक्षा के लिए वृत्रासुर पर अपने दिव्य अस्त्रों का प्रयोग किया, लेकिन सभी अस्त्र शस्त्र इसके कठोर शरीर से टकराकर टुकड़े-टुकड़े हो रहे थे। अंत में देवराज इन्द्र को अपने प्राण बचाकर भागना पड़ा। इन्द्र भागकर ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव के पास गया, लेकिन तीनों देवों ने कहा कि अभी संसार में ऐसा कोई अस्त्र शस्त्र नहीं है, जिससे वृत्रासुर का वध हो सके। त्रिदेवों की ऐसी बातें सुनकर इन्द्र मायूस हो गया। देवराज की दयनीय स्थिति देखकर भगवान शिव ने कहा कि पृथ्वी पर एक महामानव हैं दधिचि। जिन्होंने तप साधना से अपनी हड्डियों को अत्यंत कठोर बना लिया है। इनसे निवेदन करो कि संसार के कल्याण के लिए अपनी हड्डियों का दान कर दें। इन्द्र ने शिव की आज्ञा के अनुसार महर्षि दधिचि से हड्डियों का दान मांगा। महर्षि दधिचि ने संसार के हित में अपने प्राण त्याग दिए। देव शिल्पी विश्वकर्मा ने इनकी हड्डियों से देवराज के लिए वज्र नामक अस्त्र का निर्माण किया और दूसरे देवताओं के लिए भी अस्त्र शस्त्र बनाए। इसके बाद इन्द्र ने वृत्रासुर को युद्घ के लिए ललकारा। युद्घ में इन्द्र ने वृत्रासुर पर वज्र का प्रहार किया जिससे टकराकर वृत्रासुर का शरीर रेत की तरह बिखर गया। महर्षि दधिचि जयंती के अवसर पर पंडित भानुप्रकाश रिणवा, सुशील तलेसरा, पद्म आच्छा, सी.एल.चौधरी, हुकुमचंद समदडिय़ा, विजय बठिजा, धर्मेन्द्र दाधीच, चेतन दाधीच, हरेन्द्र दाधीच, नमन दाधीच, लोकेश रिणवा, दिलीप, पंकज, सीमा मुंडेल, दलपत जांगीड़, आर.एल.कुमावत, एम.एल. जांगीड़, नरेश दाधीच, माधव, गुंजन, सरला सीरवी, विकास व खुशबू सीरवी सहित अनेक लोग उपस्थित थे।

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